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कमलनाथ सरकार के पहले बजट को किसी ने संतुलित बताया, तो कोई निराश

उन्होंने कहा, “बजट में हालांकि कोई नया कर नहीं लगाया गया है। लेकिन करों के पुराने बोझ से मुक्ति दिलाने को लेकर सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र की मांग पर बहुप्रतीक्षित निर्णय भी नहीं किया गया है।”

मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार के बुधवार को पेश पहले पूर्ण बजट पर प्रदेश के उद्योग-व्यापार जगत की मिली-जुली प्रतिक्रिया सामने आई है। औद्योगिक संगठन एसोसिएशन ऑफ इंडस्ट्रीज मध्य प्रदेश के अध्यक्ष आलोक दवे ने कहा कि वित्त वर्ष 2019-20 के लिये राज्य के वित्त मंत्री तरुण भनोत द्वारा पेश बजट में छोटे उद्योगों को विशेष पैकेज नहीं दिया गया है, जबकि किसी प्रोत्साहन की उम्मीद की जा रही थी। 
उन्होंने कहा, “बजट में हालांकि कोई नया कर नहीं लगाया गया है। लेकिन करों के पुराने बोझ से मुक्ति दिलाने को लेकर सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र की मांग पर बहुप्रतीक्षित निर्णय भी नहीं किया गया है।” राज्य के सबसे बड़े औद्योगिक क्षेत्र पीथमपुर की करीब 850 इकाइयों की नुमाइंदगी करने वाले पीथमपुर औद्योगिक संगठन ने बजट का स्वागत किया है।
संगठन के अध्यक्ष गौतम कोठारी ने कहा, “कमलनाथ सरकार का पहला बजट बेहद संतुलित है जिसमें सभी वर्गों को महत्व दिया गया है। इसमें युवा उद्यमिता और रोजगार के नये अवसरों पर काफी ध्यान दिया गया है। बजट में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को बढ़ावा की योजना भी स्वागतयोग्य कदम है।” उन्होंने बजट में उल्लेखित “इंदौर-भोपाल एक्सप्रेस-वे” परियोजना की तारीफ की। लेकिन कहा कि यह महत्वाकांक्षी परियोजना तभी सफल हो सकेगी, जब प्रदेश की आर्थिक राजधानी और सियासी राजधानी को जोड़ने वाले मार्ग को सच्चे अर्थों में औद्योगिक गलियारे के रूप में विकसित किया जायेगा। 
कारोबारी संगठन अहिल्या चैम्बर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष रमेश खंडेलवाल ने कहा, “राज्य सरकार का बजट कुछ और नहीं, बल्कि शासकीय जमा-खर्च का रस्मी दस्तावेज प्रतीत होता है। इसमें कारोबार जगत को बढ़ावा देने के लिये ठोस नजरिये का अभाव नजर आता है।” उन्होंने कहा, “हम उम्मीद कर रहे थे कि बजट में मंडी टैक्स में राहत दी जायेगी। लेकिन हमारी यह उम्मीद भी पूरी नहीं हो सकी।” 

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