हरिद्वार, संजय चौहान (पंजाब केसरी): इन दिनों कांवड़ यात्रा अपने पूरे शबाब पर है और हैरत की बात है कि इतने बड़े भारी भरकम मेले जिसमें करीब चार करोड़ कांवड़ियों के आने की अनुमान स्वयं मेला प्रशासन लगा चुका है, बावजूद इसके हरकी पौड़ी पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध होने के बाद भी प्लास्टिक की केनें व अन्य खाद्य सामग्री खुलेआम बिक रही हैं और मेला प्रशासन सहित निगम के अधिकारी व कर्मचारी मूकदर्शक बने हुए हैं। खुलेआम बिक रही प्लास्टिक की केने के कारोबार ने मेला प्रशासन व निगम के दावों की हवा निकाल कर रख दी है। विश्व प्रसिद्ध हरकी पैड़ी पर एनजीटी ने प्लास्टिक की केन और सिंगल यूज प्लास्टिक की बिक्री पर रोक लगाई है, बावजूद इसके हरकी पैड़ी पर धड़ल्ले से प्लास्टिक केन बेची जा रही हैं। अधिकारियों की टीम हालांकि समय-समय पर प्लास्टिक केन और प्लास्टिक चटाई बेचने वालों पर चालान की कार्रवाई करती है, लेकिन प्रशासनिक कार्रवाई नाकाफी साबित हो रही है।
गौर हो कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल यानी एनजीटी के साफ आदेश हैं कि हरकी पैड़ी पर प्लास्टिक की केन और चटाई नहीं बेची जाएगी। प्रशासन आज तक एनजीटी के आदेशों को धरातल पर नहीं उतार सका है। हालांकि कुछ दिन पूर्व
धर्मनगरी हरिद्वार में प्लास्टिक का विकल्प तैयार किया गया था। प्लास्टिक पर रोक के लिए नगर निगम ने गंगा जल ले जाने के लिए जूट, कांच और बांस की बोतल बनवाई थी। वहीं गंगा घाटों में बैठने के लिए जूट, कपड़े और रैक्सीन की चटाई तैयार की गई थीख् लेकिन हरकी पैड़ी पर प्रतिबंध के बावजूद प्लास्टिक की केन और प्लास्टिक की चटाई का प्रयोग जमकर हो रहा है।
प्रतिबंधित सामानों के प्रयोग पर कार्रवाई के बाद भी इन पर रोक नहीं लग रही है। जिसका मुख्य कारण विकल्प न होना माना जा रहा था। गंगा घाट पर इनके प्रयोग को रोकने के लिए हरिद्वार नगर निगम ने पहल की है। इस सम्बन्ध में शहरी विकास मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने सीसीआर में इन बोतलों और चटाई को लोगों को उपलब्ध कराने की पहल का शुभारंभ भी किया था, लेकिन अभी तक धरातल पर कुछ नहीं हुआ है, जिसके चलते हरकी पौड़ी जैसे अति संवेदनशील क्षेत्र में खुलेआम प्रतिबंधित चीजें आसानी से पुलिस की ही मौजूदगी में बिक रही है, जिसने कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
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प्रतिबंध के बावजूद हरकी पौड़ी पर खुलेआम बिक रही प्लास्टिक की कैनें खोल रही पोल।
(छाया : पंजाब केसरी)