Karnatak Assembly Elections: भाजपा की कर्नाटक रणनीति में होगा मोदी मैजिक, सोशल इंजीनियरिंग और येदुरप्पा फैक्टर - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

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Karnatak Assembly Elections: भाजपा की कर्नाटक रणनीति में होगा मोदी मैजिक, सोशल इंजीनियरिंग और येदुरप्पा फैक्टर

दक्षिण भारत के राज्य कर्नाटक में इसी वर्ष विधान सभा का चुनाव होना है। चुनाव होने में अब चार महीने से भी कम का समय बाकी रह गया है। भाजपा आलाकमान ने राज्य में फिर से कमल खिलाने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी है।

दक्षिण भारत के राज्य कर्नाटक में इसी वर्ष विधान सभा का चुनाव होना है। चुनाव होने में अब चार महीने से भी कम का समय बाकी रह गया है। भाजपा आलाकमान ने राज्य में फिर से कमल खिलाने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी है।एक ओर जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार राज्य का दौरा कर जनता को सौगातें दे रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी लगातार राज्य का दौरा कर जातीय समीकरणों के साथ-साथ तमाम क्षेत्रीय समीकरणों को भाजपा के पक्ष में साधने की कोशिश कर रहे हैं। नड्डा मिशन कर्नाटक के तहत शनिवार को भी कर्नाटक में ही थे।
 मजबूत सामाजिक समीकरण तैयार करना है
कर्नाटक की सत्ता में फिर से वापसी के लिए भाजपा ने मेगा प्लान तैयार किया है। भाजपा की रणनीति इस बार राज्य के लिंगायत मतदाताओं के साथ-साथ वोक्कालिगा मतदाताओं को भी साधकर एक मजबूत सामाजिक समीकरण तैयार करना है।कांग्रेस के नवनिर्वाचित राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के गृह राज्य होने के कारण कांग्रेस भी जोर-शोर से विधान सभा चुनाव की तैयारियों में जुटी हुई है। वहीं वोक्कालिगा समुदाय के समर्थन के बल पर राज्य की राजनीति में अब तक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती आई पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा की पार्टी जनता दल-एस भी जोर-शोर से चुनाव की तैयारी कर रही है।
भाजपा का पूरा फोकस लिंगायत समुदाय पर
भाजपा की रणनीति जहां एक तरफ अपने समर्थक लिंगायत मतदाताओं को पूरी तरह से पार्टी के पक्ष में एकजुट बनाए रखने की है, वहीं इसके साथ ही भाजपा जनता दल-एस के वोट बैंक वोक्कालिगा समुदाय में भी सेंध लगाने की पुरजोर कोशिश कर रही है।दरअसल, कर्नाटक में अब तक भाजपा की चुनावी रणनीति का पूरा फोकस लिंगायत समुदाय पर ही रहा करता था लेकिन इस बार भाजपा आलाकमान के निर्देश के मुताबिक पार्टी वोक्कालिगा समुदाय पर भी काफी ध्यान दे रही है ताकि राज्य में खासकर मैसूरु क्षेत्र में भाजपा उम्मीदवारों को जीत हासिल हो सके।
 कांग्रेस और जेडीएस के बीच मुस्लिम मतों का विभाजन
कर्नाटक में 36 विधान सभा सीटें अनुसूचित जाति और 15 विधान सभा सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं। राज्य के चुनाव में दलित और आदिवासी मतदाता भी जीत-हार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसके मद्देनजर भाजपा सरकार की उपलब्धियों को लेकर खासतौर से इन दोनों वर्गों के मतदाताओं से भी संवाद कर रही है। भाजपा को यह भी भरोसा है कि राज्य में कांग्रेस और जेडीएस के बीच मुस्लिम मतों का विभाजन होने से भी उसे फायदा होगा।राज्य में तमाम जातीय और क्षेत्रीय समीकरणों को साधने के साथ ही भाजपा राज्य के अपने सबसे लोकप्रिय चेहरे बीएस येदियुरप्पा की सक्रियता भी बढ़ाने जा रही है। दरअसल, कर्नाटक दक्षिण भारत का पहला राज्य है जहां सबसे पहले कमल खिला था यानी भाजपा की सरकार बनी थी।
भाजपा ने अपने दम पर राज्य में सरकार बनाई 
2008 के विधान सभा चुनाव में जबरदस्त जीत हासिल करते हुए कर्नाटक में पहली बार भाजपा ने अपने दम पर राज्य में सरकार बनाई और बीएस येदियुरप्पा राज्य के मुख्यमंत्री बने। हालांकि भ्रष्टाचार के आरोप के कारण उस समय येदियुरप्पा अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए और भाजपा को उन्हें हटाकर 2011 में सदानंद गौड़ा को कर्नाटक का मुख्यमंत्री बनाना पड़ा।
 पार्टी ने येदियुरप्पा को ही मुख्यमंत्री बनाया
लेकिन पार्टी में चल रही उठापटक और अन्तर्कलह की वजह से विधान सभा चुनाव से लगभग दस महीने पहले भाजपा आलाकमान ने राज्य में मुख्यमंत्री का चेहरा बदलकर जगदीश शेट्टार को सीएम बनाया। हालांकि इस फेरबदल के बावजूद 2013 के विधान सभा चुनाव में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा।लेकिन इसके बावजूद बीएस येदियुरप्पा के राजनीतिक कद का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि 2019 में जब भाजपा को राज्य में फिर से सरकार बनाने का मौका मिला तो पार्टी ने येदियुरप्पा को ही मुख्यमंत्री बनाया।
 येदियुरप्पा महत्वपूर्ण नेता
वर्ष 2021 में चुनावी रणनीति के तहत भाजपा आलाकमान ने येदियुरप्पा की जगह बसवराज बोम्मई को मुख्यमंत्री तो बना दिया लेकिन येदियुरप्पा के राजनीतिक प्रभाव को देखते हुए भाजपा आलाकमान ने उन्हें पार्टी के फैसले लेने वाली सर्वोच्च और सबसे ताकतवर संस्था भाजपा संसदीय बोर्ड का सदस्य बना कर कर्नाटक की जनता को यह साफ संदेश देने का प्रयास किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की नजर में येदियुरप्पा कितने महत्वपूर्ण नेता हैं।
कर्नाटक में फिर से कमल खिलाना चाहती है BJP
आगामी कर्नाटक विधान सभा चुनाव में अपने दम पर स्पष्ट और पूर्ण बहुमत प्राप्त करने के लक्ष्य के साथ चुनाव लड़ने जा रही भाजपा की रणनीति बिल्कुल स्पष्ट है। भाजपा राज्य में वर्तमान मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई के नेतृत्व, पूर्व मुख्यमंत्री एवं भाजपा संसदीय बोर्ड के सदस्य बीएस येदियुरप्पा की सांगठनिक क्षमता एवं रणनीति, अपने सबसे लोकप्रिय चेहरे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता, सोशल इंजीनियरिंग और आरक्षण कोटे के दांव के सहारे कर्नाटक में फिर से कमल खिलाना चाहती है।
‘विजय संकल्प अभियान’ यात्रा को हरी झंडी
भाजपा ने राज्य में माइक्रो लेवल पर भी सघन चुनाव प्रचार अभियान शुरू कर दिया है। शनिवार को नड्डा ने कर्नाटक के नगथाना विधान सभा क्षेत्र में ‘विजय संकल्प अभियान’ यात्रा को हरी झंडी दिखाकर भाजपा के मेगा अभियान की शुरूआत की। इस यात्रा के दौरान भाजपा घर-घर पहुंचकर सदस्यता अभियान चलाएगी और एक करोड़ से अधिक नए लोगों को पार्टी के साथ जोड़ने का प्रयास करेगी।
 राज्य के सभी प्रमुख नेताओं को शामिल किया
पार्टी की योजना इसके जरिए राज्य के सभी बूथों पर संगठन को मजबूत बनाने की है ताकि इसका लाभ आगामी विधानसभा चुनाव में पार्टी को मिल सके। पार्टी की योजना आरक्षण से लाभान्वित होने वाले वर्गों के साथ-साथ सरकारी योजनाओं के तमाम लाभार्थियों से भी संपर्क स्थापित कर पार्टी के पक्ष में राजनीतिक माहौल बनाना है।सूत्रों के मुताबिक, पार्टी राज्य में नेताओं के बीच जारी आपसी खींचतान को कम करने के लिए जल्द ही एक प्रचार कमेटी बनाने जा रही है जिसमें राज्य के सभी प्रमुख नेताओं को शामिल किया जाएगा।

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