कर्नाटक उच्च न्यायालय ने बेंगलुरु विकास प्राधिकरण (बीडीए) के एक अधिकारी को यह कहते हुए जमानत देने से इनकार कर दिया कि सरकारी कार्यालयों में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार व्याप्त है।
न्यायमूर्ति के. नटराजन ने बीडीए में सहायक अभियंता बी. टी. राजू को जमानत देने से इनकार करते हुए कहा, ”आजकल, सरकारी कार्यालय में भ्रष्टाचार बढ़ गया है और बिना रिश्वत के कोई फाइल आगे नहीं बढ़ाई जाती है। मेरा मानना है कि याचिकाकर्ता इस समय जमानत के हकदार नहीं हैं।”
बीडीए ने कथित तौर पर बगैर उपयुक्त अधिग्रहण कार्यवाही के सुव्वालाल जैन और सुरेश चंद जैन की ज़मीन का इस्तेमाल सड़क बनाने के लिए किया था। उनके जीपीए (जनरल पावर ऑफ अटॉर्नी) धारक मंजूनाथ द्वारा भूमि के बदले वैकल्पिक स्थान के लिए अर्जी दायर की गई थी।
राजू ने मंजूनाथ से कथित तौर पर एक करोड़ रुपये की रिश्वत की मांग की थी। हालांकि, 60 लाख रुपये पर सहमति बनी थी। वहीं, सात जून, 2022 को राजू को पांच लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़ लिया गया। भ्रष्टाचार रोधी ब्यूरो (एसीबी) ने एक कॉल रिकॉर्डिंग हासिल की थी जिसमें राजू ने रिश्वत की मांग की थी। उच्च न्यायालय ने राजू की जमानत याचिका को खारिज करते हुए कहा, ”टेलीफोन पर बातचीत और एसीबी द्वारा रंगे हाथ पकड़े जाने से यह साबित होता है कि याचिकाकर्ता ने रिश्वत ली थी।”