केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन को आज 36वा दिन है, इस बीच केरल विधानसभा में कृषि कानूनों के खिलाफ आज प्रस्ताव पेश किया गया। मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने प्रस्ताव को पेश करते हुए केंद्र के इन नए कानूनों को किसान विरोधी और ‘कॉरपोरेट’ को फायदा पहुंचाने वाला बताया।
मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने कहा, वर्तमान स्थिति यह स्पष्ट करती है कि यदि यह आंदोलन जारी रहा, तो यह केरल को गंभीर रूप से प्रभावित करेगा। इसमें कोई संदेह नहीं है कि अगर अन्य राज्यों से खाद्य पदार्थों की आपूर्ति बंद हो जाती है तो केरल भूखा रहेगा। विजयन ने कहा कि प्रदर्शन के अंतिम 35 दिन में कम से कम 32 किसानों की जान गई है।
उन्होंने कहा, ‘‘ जब लोगों को उनके जीवन को प्रभावित करने वाले किसी मुद्दे को लेकर चिंता हो, तब विधानसभाओं की यह जिम्मेदारी बनती है कि वे इस पर गंभीरता से विचार करे।’’ उन्होंने कहा कि केंद्र ऐसे समय पर यह विवादास्पद कानून लेकर आई है, जब कृषि क्षेत्र पहले से ही चुनौतियों का सामना कर रहा है और इसलिए किसानों को चिंता है कि वे मौजूदा समर्थन मूल्य का फायदा भी खो देंगे।
केरल सरकार ने तीन विवादास्पद कृषि कानूनों पर चर्चा और कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव लाने के लिए निर्धारित बजट सत्र से पहले 23 दिसंबर को एक विशेष विधानसभा सत्र बुलाने का फैसला किया है। लेकिन एक अप्रत्याशित कदम के तहत राज्यपाल ने 23 दिसंबर को विवादास्पद कानूनों पर चर्चा के लिए विशेष सत्र बुलाने की मंजूरी देने से इनकार कर दिया था और कहा था कि मुख्यमंत्री पिनरायी विजयन ने इतना संक्षिप्त सत्र बुलाने की आपात स्थिति संबंधी उनके सवाल का जवाब नहीं दिया।
मुख्यमंत्री विजयन को भेजे पत्र में राज्यपाल ने यह भी कहा कि सरकार ‘एक ऐसी समस्या पर चर्चा के लिए विशेष सत्र बुलाने चाहती है जिसपर आपको समाधान करने का क्षेत्राधिकार नहीं है।’ विजयन ने मंगलवार को खान को जवाबी पत्र लिखा और यह कहते हुए उनके निर्णय को खेदजनक बताया कि राज्यपाल मंत्रिपरिषद की सलाह से बंधे हैं तथा विधानसभा में प्रस्ताव लाने और चर्चा राज्यपाल की शक्तियों द्वारा संचालित नहीं हो सकती।