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प्राकृतिक सौंदर्य की छटा बिखेरता खैवा जलप्रपात मूल सुविधाओं से महरूम

खैवा-बंदारु गांव से तकरीबन दो किलोमीटर पैदल चलने के बाद यहां की अनुपम छटा दिखती है। नदी की धार से पत्थरों ने बेहद ही खूबसूरत रूप ले लिया है।

जल-जंगल और पहाड़ की अनुपम कृति झारखंड में प्राकृतिक सौंदर्य की अनुपम छटा बिखेरता चतरा जिले का खैवा जलप्रपात आकर्षण का केंद्र और पर्यटन की अपार संभावनाओं से परिपूर्ण होने के बावजूद आज भी बुनियादी सुविधाओं से महरूम है।
नदी की कल-कल बहती धार और पत्थरों की अछ्वूत खुबसूरती लोगों को अपनी ओर बरबस खींच लाती है लेकिन मुलभूत सुविधाएं नहीं होने के कारण आज भी यह मनोरम स्थल पर्यटकों से अनछुआ है। हलांकि नववर्ष एवं मकर संक्रांति के अवसर पर स्थानीय लोग यहां आकर पिकनिक मनाते है।
चतरा जिला के सदर प्रखंड के कटिया पंचायत के खैवा गांव स्थित खैवा जलप्रपात को प्रकृति ने खूब सजाया और संवारा है। खैवा-बंदारु गांव से तकरीबन दो किलोमीटर पैदल चलने के बाद यहां की अनुपम छटा दिखती है। नदी की धार से पत्थरों ने बेहद ही खूबसूरत रूप ले लिया है। लेकिन इस मनोहारी स्थल तक पहुंचने का रास्ता सुगम नहीं है। प्रकृति की इस अनुपम मनोहारी दृश्य को देखने के लिये भले ही पर्यटकों के यहां आने की संख्या नगण्य हो लेकिन इसे देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि हजारों कारीगरों ने मिलकर इसे बनाया हो।
प्रतापपुर के जिला परिषद सदस्य अरुण यादव का कहना है कि यदि इस स्थल पर आवागमन की सुविधा के साथ ही सुरक्षा के इंतजाम हों तो यह स्थल पर्यटकों के लिये आकर्षण का केंद्र बन सकता है। रांची से आई शिवानी कहती हैं कि यह स्थल अत्यंत सुंदर है और यहां आकर काफी सुकून मिलता है। वहीं, रवि कुमार का कहना है कि शायद अब हालात में सुधार हो और खैवा-बंदारु पर्यटन स्थल के रुप में विकसित हो सके।
वैसे स्थानीय पर्यटकों को उम्मीद है कि राज्य में हेमंत सोरेन की सरकार बनने से खैवा-बंदारु का कायाकल्प हो सकेगा। इस मनोरम स्थल पर पत्थरों की खाई में एक मंदिर भी है। ऐसी मान्यता है की यहां आने वालों की मनोकामना पूर्ण होती है।

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