जोशीमठ में भू-धंसाव : ‘असुरक्षित’ घोषित होटल को ढहाना शुरू, विस्थापन का सिलसिला भी जारी - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

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जोशीमठ में भू-धंसाव : ‘असुरक्षित’ घोषित होटल को ढहाना शुरू, विस्थापन का सिलसिला भी जारी

मुआवजे की मांग को लेकर दो दिन तक होटल मालिकों और प्रशासन के बीच गतिरोध के बाद बृहस्पतिवार को भू-धंसाव प्रभावित जोशीमठ में ‘असुरक्षित’ घोषित दोनों होटल को ढहाने की कार्रवाई आरंभ कर दी गयी। वहीं, दरारों वाले मकानों से हटाकर लोगों को सुरक्षित जगहों पर भेजने का सिलसिला भी जारी रहा।

मुआवजे की मांग को लेकर दो दिन तक होटल मालिकों और प्रशासन के बीच गतिरोध के बाद बृहस्पतिवार को भू-धंसाव प्रभावित जोशीमठ में ‘असुरक्षित’ घोषित दोनों होटल को ढहाने की कार्रवाई आरंभ कर दी गयी। वहीं, दरारों वाले मकानों से हटाकर लोगों को सुरक्षित जगहों पर भेजने का सिलसिला भी जारी रहा।
पिछले कई दिनों से जमीन धंसने और दीवारों में दरारें आने के कारण होटल ‘मलारी इन’ और ‘माउंट व्यू’ के मालिकों तथा स्थानीय प्रशासन के बीच सहमति बनने के बाद होटल को ध्वस्त करने की कार्रवाई शुरू हुई। आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत कुमार सिन्हा ने यहां संवाददाताओं को बताया कि जोशीमठ में दोनों होटल को तोड़े जाने का काम शुरू हो गया है।
जोशीमठ में सात मंजिला ‘मलारी इन’ और पांच मंजिला ‘माउंट व्यू’ जमीन धंसने के कारण खतरनाक तरीके से झुक गए जिससे उनके नीचे स्थित करीब एक दर्जन घरों को खतरा उत्पन्न हो गया है।
रूडकी स्थित केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों की ​तकनीकी निगरानी में प्रशासन इन्हें मंगलवार से तोड़े जाने की तैयारी में था। हालांकि, होटल मालिकों और स्थानीय लोगों के विरोध के कारण यह कार्रवाई रूकी हुई थी, जो होटल को ढहाए जाने से पहले बदरीनाथ महायोजना की तर्ज पर इमारतों के लिए मुआवजा दिए जाने की मांग पर अड़े थे।
दोनों होटल को यांत्रिक तरीके से तोड़ा जाएगा। मौके पर मौजूद एक अधिकारी ने बताया कि पहले छत से लोहे की टिन हटायी जायेगी और अधिकतर कार्य मजदूरों से कराया जाएगा। उन्होंने कहा कि जरूरत पड़ने पर ही जेसीबी मशीन का उपयोग होगा ताकि आसपास की इमारतों को नुकसान न पहुंचे।
सिन्हा ने बताया कि जोशीमठ में 27 और परिवारों को अस्थायी राहत केंद्रों में भेजा गया है जबकि दरार वाले चिह्नित मकानों की संख्या बढकर 760 हो गयी है। अब तक 169 परिवारों के 589 सदस्यों को अस्थायी ​राहत केंद्रों में भेजा जा चुका है।
उन्होंने बताया कि जोशीमठ और पीपलकोटी में कुल 835 कमरों का इस्तेमाल राहत केंद्रों के रूप में किया जा रहा है जहां 3630 लोगों के रहने की व्यवस्था है। अधिकारी ने बताया कि अब तक 42 प्रभावित परिवारों को डेढ़-डेढ़ लाख रुपये की अंतरिम सहायता दी जा चुकी है।
सिन्हा ने कहा कि वर्तमान समय में जोशीमठ में राज्य आपदा मोचन बल की दो और राज्य आपदा प्रतिवादन बल की आठ टुकड़ियां तैनात की गई हैं जबकि किसी आकस्मिक स्थिति से निपटने के लिए सेना और भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के हेलीकॉप्टर तैनात हैं।
अधिकारी ने कहा कि जोशीमठ की जे पी कॉलोनी में भू-धंसाव वाली जगह से पानी निकलने की मात्रा कम हुई है और छह जनवरी के मुकाबले आधे से भी घटकर केवल 240 लीटर प्रति मिनट हो गयी है।
इससे पहले, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जोशीमठ में विभिन्न वर्गों के साथ बैठकें की तथा कहा कि जमीन धंसने से प्रभावित परिवारों के लिए बाजार दर पर मुआवजा स्थानीय स्तर पर गठित समिति के सुझावों के आधार पर तय किया जाएगा।
अंतरिम पैकेज के पारदर्शी वितरण एवं पुनर्वास पैकेज की दर निर्धारित किए जाने के लिए चमोली के जिलाधिकारी हिमांशु खुराना की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गयी है। भू-धंसाव से प्रभावित जोशीमठ नगर में स्थिति का जायजा लेने के बाद मुख्यमंत्री ने समिति के सदस्यों के साथ बैठक के बाद कहा कि स्थानीय स्तर पर गठित समिति के सदस्यों के सुझावों पर बाजार दर पर मुआवजा तय किया जाएगा।
उन्होंने कहा, ‘‘प्रभावित हितधारकों के हितों का पूरा ध्यान रखते हुए बेहतर से बेहतर मुआवजा दिया जाएगा। प्रभावित लोगों को मानसिक रूप से भी सबल बनाना है। सरकार की ओर से जो अधिकतम हो सकता है, वह किया जाएगा।’’
धामी ने कहा कि फरवरी में औली में शीतकालीन खेल होने हैं और कुछ महीने बाद चारधाम यात्रा शुरू होगी। इस संबंध में उन्होंने कहा कि जोशीमठ संकट को लेकर कोई गलत संदेश नहीं जाना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘कुछ लोग जोशीमठ को लेकर गलत माहौल बना रहे हैं, जिससे लोगों का नुकसान हो रहा है और उनके आर्थिक हित प्रभावित हो रहे हैं।’’ उन्होंने कहा कि जोशीमठ में केवल 20-25 फीसदी मकान ही भू-धंसाव से प्रभावित हैं।
मुख्यमंत्री ने आईटीबीपी शिविर में सेना, आईटीबीपी, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) और भू-धंसाव की जांच में लगे विभिन्न प्रतिष्ठानों के वैज्ञानिकों, जिला प्रशासन, पुलिस एवं आवश्यक सेवाओं से जुड़े अधिकारियों के साथ भी बैठक की।

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