भाषा के विवाद को हिंसा में बदलने वाले स्टालिन फिर भाषाई विवाद को उठा रहे हैं, हिंदी के विरोध में स्टालिन स्वायत की मांग कर चुके हैं। अब से पहले भी स्टालिन कई ऐसे बयान दे चुके हैं , जो देश की मातृत्व को गहरी सोच पहुंचाता हैं। भारत एकता में अनेकता वाला देश हैं। लेकिन अलगाव को बढ़ावा देने के लिए स्टालिन भाषा को विवाद को प्रमुखता दे रहे हैं। तमिलनाडु सीएम स्टालिन ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखा हैं कि उन पर हिंदी को थोपने का प्रयास किया जा रहा हैं , जो अव्यावहारिक हैं। स्टालिन ने हिंदी को बढ़ावा देने को विभाजनकारी बताया हैं। आपकी यह कोशिश गैर हिंदी भाषा वाले लोगों को कई मायनों में नुकसान पहुंचाने वाली हैं। यह तमिलनाडु ही नहीं बल्कि कई राज्य को आपके इस कदम को स्वीकार नहीं करते।
पीएम मोदी से स्टालिन की अपील
पीएम मोदी को अपने पत्र में स्टालिन ने कहा कि रिपोर्ट में सुझाए गए विभिन्न तरीकों से हिंदी को थोपने का प्रयास किया जा रहा हैं ,स्टालिन ने कहा कि इसको आगे नहीं बढ़ाया जाए। स्टालिन ने कहा कि देश में हिंदी से अलग अन्य भाषा बोलने वाले लोगों की संख्या ज्यादा हैं। स्टालिन ने आगे कहा कि उन्हें विश्वास हैं कि वह इस बात की आप सराहना करेंगे, की हर व्यक्ति की भाषा व संस्कृति के साथ अपनी विशेषता होती हैं।
तमिल भाषा को 8वीं अनुसूची में शामिल करने की मांग
सीएम स्टालिन ने कहा कि वैज्ञानिक रूप से तकनीकी सुविधाओं को ध्यान रखते हुए गैर हिंदी भाषा पर ध्यान देकर उन्हे बढ़ावा देना चाहिए। स्टालिन ने कहा कि गैर हिंदी बोलने वाले लोगों को भी रोजगार के मौके पर समान मौका दिया जाना चाहिए। स्टालिन ने पत्र में पीएम मोदी ने तमिल भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने का आग्रह किया।