देहरादून : रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (रेरा) से लुका-छिपी का खेल कर रहे 150 बिल्डरों के खिलाफ अब मुकदमा दर्ज होगा। ये वह बिल्डर हैं, जिन्हें मई 2017 में रियल एस्टेट (रेगुलेशन एंड डेवलपमेंट) एक्ट लागू होने के बाद नोटिस भेजा गया था। जिसमें बिल्डरों को रेरा के तहत पंजीकरण कराने को कहा गया था, ताकि निवेशकों के अधिकार सुरक्षित किए जा सकें। तब से अब तक इन्होंने न तो नोटिस का जवाब दिया, न ही पंजीकरण कराया। दो साल पहले रियल एस्टेट एक्ट लागू होने के बाद करीब 300 बिल्डरों को नोटिस जारी किए गए थे।
यह नोटिस पूर्व में रेरा के सचिवालय की जिम्मेदारी संभालने वाले उत्तराखंड आवास एवं नगर विकास प्राधिकरण ने जारी किए थे। उसी दौरान बिल्डरों को पंजीकरण के लिए रिमाइंडर भी भेजा गया था और 80 के करीब बिल्डरों ने पंजीकरण करा लिया था, जबकि शेष का कुछ पता नहीं चल पाया। इसके बाद जब रेरा का ढांचा बना और अध्यक्ष से लेकर सदस्यों व अन्य स्टाफ की नियुक्ति की गई तो यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया।
25 अप्रैल को जब मुख्य सचिव उत्पल कुमार ने रेरा की समीक्षा की तो नामरफानी करने वाले बिल्डरों को लेकर उन्होंने नाराजगी जताई। उन्होंने स्पष्ट किया कि ऐसे बिल्डरों को अंतिम नोटिस जारी किया जाए और इसके बाद मुकदमा दर्ज करने की कार्रवाई शुरू की जाए। रेरा अध्यक्ष विष्णु कुमार ने बताया कि नोटिस भेजने के आदेश जारी कर दिए गए हैं और फिर विधिक कार्रवाई भी अमल में लाई जाएगी।
– सुनील तलवाड़