दिल्ली विश्वविद्यालय (Delhi University) के पूर्व शिक्षक जी एन साईबाबा (G.N. Saibaba) के बरी होने का वाम दलों ने स्वागत किया। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी CPI(M) ने ट्वीट कर कहा कि माकपा जीएन साईबाबा की रिहाई का स्वागत करती है और उनके प्रति एकजुटता प्रकट करती है। कई और लोग फर्जी आरोपों में बंद हैं। सभी राजनीतिक कैदियों को तुरंत रिहा किया जाए।
आखिरकार सच की हुई जीत
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने एक बयान में दावा किया कि साईबाबा को ‘राज्य प्रायोजित यातना’ (State sponsored torture) का सामना करना पड़ा और आखिरकार सच की जीत हुई। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा कि जीएन साईबाबा की रिहाई निष्ठुर कानूनों के विरूद्ध संघर्ष की जीत है।
महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर जी. एन. साईबाबा को कथित माओवादी संपर्क मामले में बरी करने के बंबई हाई कोर्ट के आदेश पर शुक्रवार को रोक लगाने से मना कर दिया। महाराष्ट्र (Maharashtra) सरकार ने बंबई हाई कोर्ट के आदेश के कुछ घंटों बाद फैसले पर रोक के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। लेकिन शीर्ष कोर्ट ने इसे अस्वीकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने हालांकि महाराष्ट्र सरकार को अनुमति दे दी कि वह तुरंत सूचीबद्ध किए जाने का अनुरोध करते हुए रजिस्ट्री के समक्ष आवेदन दे सकती है।