पुरी में भगवान जगन्नाथ की सालाना रथ यात्रा शुक्रवार को शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हो गई। कोविड-19 के चलते इस बार यात्रा में श्रद्धालुओं को शामिल होने की अनुमति नहीं थी।
भगवान बलभद्र, देवी सुभद्रा और भगवान जगन्नाथ शुक्रवार को एक विशेष अनुष्ठान ‘निलाद्री बिजे’ के तहत 12वीं सदी के इस मंदिर में लौट आए।
निलाद्री बिजे के साथ ही यात्रा समाप्त हो जाती है। इस साल यह यात्रा 12 जुलाई को शुरू हुई थी।
रथयात्रा की शुरुआत भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र के अपने जन्मस्थान गुंडिचा मंदिर लकड़ी के तीन रथ पर सवार होकर जाने से होती है।
राज्य सरकार ने रथ यात्रा से जुड़े अहम अनुष्ठान रथ यात्रा (12 जुलाई), बहुदा (20 जुलाई), सुना भेसा (21 जुलाई) और निलाद्री बिजे (23 जुलाई) के मौके पर लोगों की भीड़ से बचने के लिए समुद्र के किनारे स्थित कस्बे में कर्फ्यू लगाए।
इस साल टेलीविज़न की मदद से देश-विदेश के लोगों ने रथ यात्रा से जुड़े अनुष्ठानों को देखा और मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने इस अवसर पर सभी को शुभकामनाएँ दीं।
पटनायक ने ट्वीट में कहा, ‘ ‘ भगवान जगन्नाथ ने इस अवसर पर देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए उन्हें रसगुल्ला खिलाया। रसगुल्ला का जगन्नाथ संस्कृति और परंपरा में विशेष महत्व है। जय जगन्नाथ।’’