कांग्रेस की वरिष्ठ नेता शोभा ओझा ने मध्य प्रदेश महिला आयोग के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने राज्य की शिवराज सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि उनके सामने अलग-अलग बाधाएं पैदा करते हुए उन्हें संवैधानिक दायित्व निभाने से रोका गया।
ओझा ने इंदौर प्रेस क्लब में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा,‘‘मेरे पास राज्य महिला आयोग अध्यक्ष का पद मार्च 2023 तक रहता। लेकिन मौजूदा बीजेपी सरकार ने मुझसे इस संवैधानिक पद के सारे अधिकार छीन लिए हैं। इन हालात में मैंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को अपना इस्तीफा भेज दिया है ताकि मैं पहले की तरह सड़क पर उतरकर महिलाओं को न्याय दिलाने की लड़ाई लड़ सकूं।’’
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उन्होंने बताया कि कमलनाथ सरकार के 20 मार्च 2020 को हुए पतन के बाद सत्ता में लौटी चौहान सरकार ने राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष के तौर पर उनकी नियुक्ति को रद्द कर दिया था, लेकिन इस कदम के खिलाफ उनकी याचिका पर मध्यप्रदेश हाई कोर्ट ने 22 मई 2020 को दिए आदेश में उनके इस पद के मामले में यथास्थिति बनाए रखने को कहा था।
ओझा ने कहा, ‘‘कोर्ट के इस आदेश के बावजूद बीजेपी सरकार ने मुझे आयोग में काम नहीं करने दिया। आयोग के दफ्तर में ताले लगा दिए गए और अधिकारी-कर्मचारियों से कह दिया गया कि मेरे दफ्तर आने के बाद वे वहां से तुरंत बाहर निकल जाएं।’’
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कांग्रेस नेता ने यह आरोप भी लगाया कि आयोग में प्रदेश सरकार के मनोनीत सदस्य सचिव के माध्यम से बीजेपी नेताओं और अन्य रसूखदार लोगों से जुड़े मामलों को नियम-कायदों के खिलाफ जाकर ‘‘निपटाने’’ की कोशिश की जा रही है। बहरहाल, संवाददाताओं के पूछे जाने के बावजूद उन्होंने इन लोगों के नामों का खुलासा नहीं किया।
ओझा के मुताबिक 16 मार्च 2020 को उन्हें राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष नियुक्त किए जाने के वक्त आयोग में करीब 10,000 मामले लम्बित थे। उन्होंने कहा, ‘‘बीजेपी सरकार द्वारा मुझे राज्य महिला आयोग अध्यक्ष के तौर पर काम नहीं करने देने के कारण आज आयोग में लम्बित मामलों की संख्या बढ़कर 17,500 तक पहुंच गई है।’’