देहरादून : आईसीएफएआई विश्वविद्यालय द्वारा तकनीकी विकास और कानून के बदलते आयाम’ विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश एल नागेश्वर राव ने किया। उन्होंने कहा कि चाहे वह जांच के तरीकों में तकनीकी विकास हो या रिकॉर्ड रखने के काम के क्षेत्र में प्रौद्योगिकी हमारे गतिशील न्याय प्रणाली पर व्यापक प्रभाव डाल रही है।
उन्होंने कहा कि छात्रों को यह समझने में रुचि लेनी चाहिए कि प्रौद्योगिकी कैसे अदालत में उनके काम और प्रदर्शन की दक्षता में सुधार करती है। न्यायपालिका पेपरलेस कोर्ट बनाने पर ध्यान केंद्रित कर रही है और नागरिकों के लिए कई अदालतों में अब ई-फाइलिंग जैसी सुविधाएं शुरू की जा रही है। जांच के लिए ब्रेन मैपिंग और नार्को एनालिसिस का भी उपयोग किया जाता है और परिणाम हमेशा कहानी और निर्णय के लिए परिस्थिति के अनुसार साक्ष्य के साथ मिलाये जाते हैं।
एक तरफ, मोबाइल फोन रिकॉर्ड और अभियुक्तों के कंप्यूटर में जानकारी का उपयोग पूछताछ के लिए अदालतों में किया जाता है और मोबाइल फोन के दूसरे उपयोग पर भी व्यक्तियों की गोपनीयता की सुरक्षा के लिए प्रमुख चिंताएं हैं। इसलिए कानून को जानना, कानून के छात्रों के लिए पर्याप्त नहीं है, ज्ञान में सुधार के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग और तकनीकी विकास का ज्ञान ही समाज की मदद के लिए महत्वपूर्ण है।
– सुनील तलवाड़