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सदस्यों को सदन मे तथ्यों के साथ बात रखनी चाहिए, निराधार आरोप लोकतंत्र को कमजोर करते हैं: लोकसभा स्पीकर

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने बुधवार को कहा कि सदन में विपक्ष की भूमिका सकारात्मक और शासन में जवाबदेही सुनिश्चित करने वाली चाहिए लेकिन जिस सुनियोजित तरीके से सदनों की कार्यवाही में बाधा डालकर कार्य स्थगित करने की परंपरा डाली जा रही है, वह लोकतंत्र के लिए उचित नहीं है।

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने बुधवार को कहा कि सदन में विपक्ष की भूमिका सकारात्मक और शासन में जवाबदेही सुनिश्चित करने वाली चाहिए लेकिन जिस सुनियोजित तरीके से सदनों की कार्यवाही में बाधा डालकर कार्य स्थगित करने की परंपरा डाली जा रही है, वह लोकतंत्र के लिए उचित नहीं है। बिरला ने गांधीनगर में गुजरात विधान सभा के सदस्यों के लिए आयोजित एक प्रबोधन कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए यह बात कही। लोकसभा सचिवालय के बयान के अनुसार, बिरला ने कहा, ‘‘सदस्यों को अपनी बात तथ्यों के साथ रखनी चाहिए। निराधार आरोपों पर आधारित तर्क लोकतंत्र को कमजोर करते हैं।’’ उन्होंने कहा कि पीठासीन अधिकारी का यह दायित्व है कि वह सदन की गरिमा बढ़ाने की दिशा में कार्य करें। सदनों में चर्चा के स्तर में गिरावट और सदन की गरिमा में गिरावट हमारे लिए चिंता का विषय है।
बिरला ने कहा कि एक उत्कृष्ट विधायक वही होता है जो उत्कृष्ट गुणवत्तापूर्ण चर्चा और संवाद में भाग लेता है और सदन की प्रतिष्ठा को बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि सदस्यों को तथ्यों के साथ अपनी बात रखनी चाहिए क्योंकि निराधार आरोपों पर आधारित तर्क लोकतंत्र को कमजोर करते हैं। लोकतंत्र में विपक्ष की भूमिका पर लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि विपक्ष की भूमिका सकारात्मक, रचनात्मक और शासन में जवाबदेही सुनिश्चित करने वाली होनी चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘ लेकिन जिस तरह सुनियोजित तरीके से सदनों की कार्यवाही में बाधा डालकर सदनों का कार्य स्थगित करने की परंपरा डाली जा रही है, वह लोकतंत्र के लिए उचित नहीं है। सदन में चर्चा, वाद-विवाद, असहमति हो, लेकिन सदन में गतिरोध कभी नहीं होना चाहिए।’’ बिरला ने सदस्यों से सदन के नियमों, प्रक्रियाओं और विगत वर्षों के वाद-विवाद का अध्ययन करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि सदस्य नियमों, प्रक्रियाओं और पिछले वर्षों में हुए वाद-विवाद से जितने अधिक परिचित होंगे, उनके भाषण उतने ही समृद्ध होंगे। 
बिरला ने यह भी कहा कि नारे लगाने और विधान सभा की कार्यवाही में बाधा डालने से कोई भी श्रेष्ठ विधायक नहीं बन सकता। उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधि होने के नाते उन पर मतदाताओं की समस्याओं के समाधान की बड़ी जिम्मेदारी है, इसलिए विधानमंडलों में चर्चा और संवाद होना चाहिए और चर्चा का स्तर उच्चतम होना चाहिए। लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि राज्य विधान सभाओं में चर्चा और संवाद का स्तर जितना ऊंचा होगा, कानून उतने ही बेहतर बनेंगे। उन्होंने सभी विधानसभाओं के विधानसभा अध्यक्षों से अपील की कि चर्चा और विचार-विमर्श का आयोजन कराएं ताकि लोकतंत्र जीवंत बना रहे। बिरला ने ‘एक देश-एक वैधानिक मंच’ की चर्चा की जिसका उद्देश्य सभी विधायिकाओं (संसद और विधानसभाएं) की सभी कार्यवाहियों को एक मंच पर लाना है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने निर्वाचित सदस्यों से विधानसभा के माहौल को बेहतर बनाने की दिशा में काम करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि ‘लोकतंत्र के मंदिर’ के प्रति भी विधायकों का कर्तव्य है। इस कार्यक्रम में गुजरात विधान सभा के अध्यक्ष शंकर चौधरी और कई अन्य गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे।

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