राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने भाजपा और अन्य संगठनों से जुड़े लोगों के बीच चाल, चरित्र और चेहरे पर उठ रहे सवालों पर चिंता जताई है। उन्होंने यह भी हिदायत दी है कि वे अपने आचरण पर भी गौर करें।संघ प्रमुख 31 जनवरी से राज्य के प्रवास पर हैं।
भोपाल प्रवास के अंतिम चरण में उन्होंने शारदा विहार में दो दिन भाजपा और 36 संगठनों की बैठक ली, जिसमें मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के प्रतिनिधि शामिल हुए। सूत्रों का कहना है कि पिछले दिनों हनीट्रैप मामले के सामने आने और कई अन्य मामलों में भाजपा नेताओं और प्रचारकों के जुड़े होने की तरफ इशारों-इशारों में उन्होंने यह बात कही। भागवत ने संगठनों से जुड़े प्रतिनिधियों को संघ की साख याद दिलाई। साथ ही कहा, “समाज उनकी तरफ देखता है, अगर उनके आचरण में गिरावट आएगी, तो यह स्वीकार्य नहीं होगा।
उन्होंने कहा सभी को अपने आचरण में बदलाव लाना होगा, अनुशासित रहना होगा।”संघ प्रमुख ने भाजपा नेताओं और अन्य संगठनों से जुड़े लोगों को संघ की सामाजिक प्रतिष्ठा याद दिलाई। साथ ही उन्हें अपने अतीत से सीख लेने पर जोर दिया। इतना ही नहीं, नेताओं की कार्यशैली और उन पर उठे सवालों पर सीधे तौर पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि संघ समाज के बीच जाकर समस्याओं और राष्ट्र की चुनौतियों के लिए लोगों को तैयार करता है, मगर राज्य के कई नेताओं के सवालों में घेरने से पूरे संगठन की छवि पर असर पड़ता है, इसे रोकने के प्रयास होने चाहिए।
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सूत्रों के मुताबिक, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में डेढ़ दशक तक भाजपा सत्ता में रही और बीते एक साल से सत्ता से बाहर है। इस एक वर्ष की अवधि में संगठनों ने क्या काम किया, इसका भी ब्यौरा संघ प्रमुख ने लिया। मोहन भागवत का यह मध्यप्रदेश प्रवास कई मायनों में महत्वपूर्ण माना जा रहा है। उन्होंने तीन दिन विद्यार्थियों के बीच बिताए, दो दिन संघ के प्रचारक, विभाग प्रचारक और दो दिन भाजपा व अनुषांगिक संगठनों के नेताओं के साथ बैठकें की।