मध्य प्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार को हाई कोर्ट ने एक बड़ा झटका दिया। इस झटके से सरकार की काफी उम्मीदें टूट गई है। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने ओबीसी आरक्षण में लगी रोक हटाने से इंकार करते हुए अंतिम सुनवाई के निर्देश जारी किये है। ओबीसी वर्ग का आरक्षण 27 फीसदी किये जाने के मामले में सरकार को हाईकोर्ट से झटका लगा है। सरकार की तरफ से 6 याचिका में ओबीसी आरक्षण 27 प्रतिशत किये जाने के खिलाफ लगी रोक को हटाने के लिए आवेदन पेश किया गया था।
मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक तथा न्यायाधीश व्ही के शुक्ला की युगलपीठ ने संबंधित याचिकाओं की आज सुनवाई करते हुए ओबीसी आरक्षण में लगी रोक को हटाने से इंकार करते हुए अंतिम सुनवाई के निर्देश जारी किये है। याचिकाओं पर अंतिम सुनवाई 20 सितम्बर को निर्धारित की गयी है। प्रदेश सरकार द्वारा ओबीसी आरक्षण 14 प्रतिशत से बढ़कर 27 प्रतिशत किये जाने के विरूद्ध दायर की गयी अशिता दुबे की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने चिकित्सा शिक्षा क्षेत्र में ओबीसी वर्ग को 14 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने के अंतरिम आदेश 19 मार्च 2019 को जारी किये थे।
युगलपीठ ने पीएससी द्वारा विभिन्न पदों की परीक्षाओं की चयन सूची में भी ओबीसी वर्ग को 14 फीसदी आरक्षण दिए जाने का अंतरिम आदेश पारित किये थे। इसके अलावा चार अन्य याचिकाओं में भी सरकार ने ओबीसी आरक्षण 27 प्रतिशत किये जाने पर स्थगन आदेश जारी किये थे। ओबीसी आरक्षण के समर्थन, ईडब्ल्यूएस आरक्षण, न्यायिक सेवा में 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण, महिला आरक्षण तथा एनएचएम भर्ती में आरक्षण के संबंध में भी याचिकाए दायर की गयी थी।
युगलपीठ ने दायर सभी 24 याचिकाओं की सुनवाई संयुक्त रूप से आज की गयी। याचिका की सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से 6 याचिकाओं में ओबीसी आरक्षण 27 प्रतिशत किये जाने पर लगी रोक को हटाने के लिए आवेदन पेश किया गया। आवेदन में कहा गया था कि प्रदेश में 51 प्रतिशत आबादी ओबीसी वर्ग की है। ओबीसी, एसटी, एससी वर्ग की आबादी कुल 87 प्रतिशत है।
मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक तथा न्यायाधीश व्ही के शुक्ला की युगलपीठ ने संबंधित याचिकाओं की आज सुनवाई करते हुए ओबीसी आरक्षण में लगी रोक को हटाने से इंकार करते हुए अंतिम सुनवाई के निर्देश जारी किये है। याचिकाओं पर अंतिम सुनवाई 20 सितम्बर को निर्धारित की गयी है। प्रदेश सरकार द्वारा ओबीसी आरक्षण 14 प्रतिशत से बढ़कर 27 प्रतिशत किये जाने के विरूद्ध दायर की गयी अशिता दुबे की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने चिकित्सा शिक्षा क्षेत्र में ओबीसी वर्ग को 14 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने के अंतरिम आदेश 19 मार्च 2019 को जारी किये थे।
युगलपीठ ने पीएससी द्वारा विभिन्न पदों की परीक्षाओं की चयन सूची में भी ओबीसी वर्ग को 14 फीसदी आरक्षण दिए जाने का अंतरिम आदेश पारित किये थे। इसके अलावा चार अन्य याचिकाओं में भी सरकार ने ओबीसी आरक्षण 27 प्रतिशत किये जाने पर स्थगन आदेश जारी किये थे। ओबीसी आरक्षण के समर्थन, ईडब्ल्यूएस आरक्षण, न्यायिक सेवा में 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण, महिला आरक्षण तथा एनएचएम भर्ती में आरक्षण के संबंध में भी याचिकाए दायर की गयी थी।
युगलपीठ ने दायर सभी 24 याचिकाओं की सुनवाई संयुक्त रूप से आज की गयी। याचिका की सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से 6 याचिकाओं में ओबीसी आरक्षण 27 प्रतिशत किये जाने पर लगी रोक को हटाने के लिए आवेदन पेश किया गया। आवेदन में कहा गया था कि प्रदेश में 51 प्रतिशत आबादी ओबीसी वर्ग की है। ओबीसी, एसटी, एससी वर्ग की आबादी कुल 87 प्रतिशत है।
ओबीसी वर्ग के व्यक्तियों का सरकारी नौकरियों में प्रतिनिधित्व, रहन-सहन की स्थिति आदि के अध्ययन के लिए एक आयोग का गठन किया गया था। आयोग की रिपोर्ट तथा आबादी के अनुसार सरकार ने ओबीसी आरक्षण 27 प्रतिशत लागू करने का निर्णय लिया है।
इसके अलावा, याचिकाकर्ता की तरफ से पैरवी करते हुए अधिवक्ता आदित्य संघी ने युगलपीठ को बताया की सर्वोच्च न्यायालय की संवैधानिक पीठ ने साल 1993 में इंदिरा साहनी तथा साल 2021 में मराठा आरक्षण के मामलें में स्पष्ट आदेश दिए हैं कि जाति जनगणना के आधार पर आरक्षण प्रदान नहीं किया जा सकता है। आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए।
युगलपीठ ने सुनवाई के बाद सरकार के अंतरिम आवेदन को खाजिर करते हुए याचिकाओं पर अंतिम सुनवाई के निर्देश दिये है। युगलपीठ ने ओबीसी आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिका की पृथक सुनवाई के निर्देश दिये है। शेष याचिकाओं पर सुनवाई के अलग से प्रस्तुत करने आदेश जारी किये है। याचिकाकर्ताओं की तरफ से अधिवक्ता आदित्य संधी तथा सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता तथा महाधिवक्ता पुरूषेन्द, कौरव उपस्थित हुए।
युगलपीठ ने सुनवाई के बाद सरकार के अंतरिम आवेदन को खाजिर करते हुए याचिकाओं पर अंतिम सुनवाई के निर्देश दिये है। युगलपीठ ने ओबीसी आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिका की पृथक सुनवाई के निर्देश दिये है। शेष याचिकाओं पर सुनवाई के अलग से प्रस्तुत करने आदेश जारी किये है। याचिकाकर्ताओं की तरफ से अधिवक्ता आदित्य संधी तथा सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता तथा महाधिवक्ता पुरूषेन्द, कौरव उपस्थित हुए।