पटना : दुनियां का कोई भी समाज तबतक सभ्य और सुसंस्कृत नहीं कहा जायेगा, जबतक वह महिलाओं को सम्मान, सुरक्षा और समानता की गारंटी नहीं देता। नारी-उत्पीडऩ के मसले का हल केवल कानून बनाने मात्र से ही संभव नहीं, बल्कि इसके लिए व्यक्ति को अपने नजरिये में बदलाव लाने की जरूरत है, अपनी सोच में नारियों के प्रति बराबरी और आदर का भाव समाहित करना जरूरी है। उक्त बातें राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने राजभवन में महिला विकास निगम, जेन्डर रिसोर्स सेन्टर और समाज कल्याण विभाग के संयुक्त तत्वावधान में ‘जेन्डर उन्मुखीकरण से संबंधित आयोजित एक कार्यशाला का उद्धघाटन करते हुए व्यक्त किये। राज्यपाल ने कहा कि अपने दायित्वों के प्रति ईमानदारी तथा कार्य के प्रति निष्ठा महिलाओं में पुरूषों की तुलना में ज्यादा होती है। महिलाएं बाह््य दबाव या लालच में कम फंसती हैं, भ्रष्टाचार के मामलों में उनकी काफी कम संलिप्तता पायी जाती है, जबकि पुरूष आसानी से इसमें फंस जाते हैं। आज महिलाओं में पुरूषों की तुलना में किसी भी रूप में कार्य-क्षमता की बिल्कुल ही कमी नही है।
वे ज्ञान-विज्ञान के हर क्षेत्र में कामयाबी हासिल कर रही हैं। महिलाएं खेलकूद-कुश्ती, तीरंदाजी आदि में तो पुरूषों की तुलना में काफी बेहतर प्रदर्शन कर ही रही हैं। पर्वतारोहण, वायुयान-परिचालन आदि क्षेत्रों में भी उनकी प्रतिभा का प्रसार नजर आता है। उन्होंने मगध सम्राट अजातशत्रु और भगवान बुद्ध के ऐतिहासिक संदर्भों का उल्लेख करते हुए कहा कि अजातशत्रु के प्रधानमंत्री ने वैशाली गणराज्य के विरूद्ध युद्ध में सफलता की संभावनाओं पर जब भगवान बुद्ध से जिज्ञासा की थी, तब भगवान बुद्ध ने प्रधानमंत्री से कुछ प्रश्न किये थे। उन्होंने पूछा था कि ”वैशाली गणराज्य में नीतिगत निर्णय क्या सभाओं के माध्यम से सामूहिक रूप में लिए जाते है? बुजुर्गों को सम्मान तो वहां प्राप्त है? नारियों को आदर की निगाह से तो देखा जाता है? राज्यपाल ने कहा कि महिलाओं को अपने विरूद्ध होनेवाले-उत्पीडऩ का खुलकर प्रतिकार करना चाहिए। महिलाओं को अपने कार्यक्षेत्र में बदनिगाही को बिल्कुल ही बर्दाश्त नहीं करना चाहिए। उन्हें अपने विरूद्ध अपमान की बातों को अपनी सहकर्मी महिला-मित्रों से जरूर साझा करना चाहिए और गलत निगाह रखनेवाले के खिलाफ अपने भरपूर गुस्से का इजहार कर उसे दंडित कराना चाहिए। इस क्रम में राज्यपाल ने ‘महाभारत की महिला पात्र ‘द्रौपदी से शिक्षा ग्रहण करने की सीख दी, जिन्होंने अपने विरूद्ध कौरवों के अपमान का बदला उनका सर्वनाश कर लिया था। राज्यपाल ने कहा कि मेरा यह सामाजिक अनुभव है कि मां-बाप के लिए आज बेटों से ज्यादा बेटियां ही मददगार साबित हो रही हैं। उन्होंने कहा कि कन्या-भू्रण-हत्या तो एक जघन्य अपराध है, जिस पर हर हालत में नियंत्रण पाया जाना चाहिए। राज्यपाल ने कहा कि कई जगह महिलाओं के विरूद्ध होनेवाले उत्पीडऩ में महिलाएं भी शामिल नजर आती हैं। उन्होंने दहेज-हत्याओं को एक जघन्य मानवीय अपराध बताते हुए कहा कि अपने घर आयी दुल्हन को जलाकर राख करने वाले बहशी परिवार को तो कठोर-से-कठोर सजा मिलनी ही चाहिए।
राज्यपाल ने मुजफ्फरपुर बालिका गृृह यौन-शोषण मामले की जांच सी.बी.आई. द्वारा कराये जाने के राज्य सरकार के निर्णय की प्रशंसा की और विश्वास व्यक्त किया कि मानवता को शर्मशार करने वाली इस घटना में शामिल प्रत्येक अपराधी को कठोरतम दंड मिलेगा। राज्यपाल ने कहा कि महिला विकास निगम को विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में भी ‘जेन्डर उन्मुखीकरण पर कार्यशालाएं आयोजित करनी चाहिए। उन्होंने महिला विकास निगम के कार्यों की सराहना की और नारी-सशक्तीकरण के लिए और सघन अभियान चलाने का सुझाव दिया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राज्यपाल के प्रधान सचिव विवेक कुमार सिंह ने कहा कि हर संस्था को ‘ळमदकमत ैमदेपजप्रंजपवद प्दकमग बनाकर नारी-सशक्तीकरण की दिशा में ठोस कार्य करने चाहिए। उन्होंने कहा कि समाज और संस्थाओं में नारियों के प्रति कुदृृष्टि रखने वालों की पहचान कर उन्हें सख्त रूप से दंडित कराने के साथ-साथ, मनोवैज्ञानिक स्तर पर भी पुरूष-मानसिकता में परिवर्तन लाए जाने के प्रयास होने चाहिए।
महिला विकास निगम की प्रबंध निदेशक डा. एन. विजयालक्ष्मी ने कहा कि निगम विभिन्न सरकारी विभागों, सामाजिक एवं शैक्षणिक संस्थाओं, पंचायत-प्रतिनिधियों आदि के लिए उन्मुखीकरण कार्यशालाएं आयोजित कर रहा है। उन्होंने नारी-सशक्तीकरण से संबंधित महिला विकास निगम द्वारा प्रकाशित कई पुस्तिकाएं राज्यपाल को भेंट की तथा निगम के कार्यों से विस्तारपूर्वक उन्हें अवगत कराया। कार्यक्रम में नेशनल इंस्टीच्यूट ऑफ फाइनेन्सियल मैनेजमेन्ट की प्रो. (डा.) शिखा माथुर ने ‘जेन्डर बजटिंग के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला। ‘जेन्डर रिसोर्स सेन्टरÓ के मुख्य सलाहकार आनंद माधब ने जेंडर आधारित महत्वपूर्ण चुनौतियों, नीतियों और सेवाओं के सुदृृढ़ीकरण, ग्राम-पंचायतों एवं शहरी निगम क्षेत्र में जेंडर कार्यक्रमों के कार्यान्वयन और क्षमता-विकास, हितकारकों के बीच जेंडर आधारित न्यायोचित सोच विकसित करने आदि बातों की विस्तार से जानकारी दी। कार्यक्रम के तकनीकी सत्र के दौरान डा. सुहासिनी राव, डा. शिखा माथुर, श्री आशीष कुमार, श्रीमती रंजना दास आदि विशेषज्ञों ने ‘जेन्डर, व्यवहार और अन्तद्र्वन्द्व, जेंडर आधारित हिंसा, कार्य-स्थल पर महिलाओं का यौन-उत्पीडऩ, ‘जेन्डर बजटिंग आदि विषयों पर व्यापक रूप से कार्यशाला के प्रतिभागियों को अवगत कराया। कार्यशाला में धन्यवाद ज्ञापन एस. आनंद ने किया।