छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित सुकमा जिले में चलता-फिरता (मोबाइल) थाना शुरू किया गया है, जो गांवों में घर-घर जाकर लोगों की समस्याएं सुनेगा और रिपोर्ट दर्ज करेगा। जिले में बढ़ी नक्सल गतिविधियों ने आमजन में पुलिस के प्रति भरोसे को कम किया है। इसलिए लोगों में पुलिस के प्रति दोबारा भरोसा जगाने के लिए स्थानीय प्रशासन नए व तेजतर्रार विकल्पों का सहारा ले रहा है। पहले जहां जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक ने मोटरसाइकिल पर जंगलों तक जाने का साहस दिखाया, तो वहीं अब डोर-टू-डोर समस्याएं सुनकर रिपोर्ट दर्ज की जाएगी।
पुलिस के प्रति आमजन का भरोसा कम होने का ही नतीजा है कि, पुलिस को समय पर सूचनाएं नहीं मिल पाती। इसके साथ ही उसे मुखबिर भी कम ही मिलते हैं। इन हालातों के बीच जनता में पुलिस और प्रशासन का भरोसा पैदा करने के लिए कई अफसर अपने स्तर पर प्रयास करने में लगे हैं। इनमें सुकमा के जिलाधिकारी चंदन कुमार और पुलिस अधीक्षक शलभ सिन्हा लगातार जनता से संवाद कर उनकी समस्याएं जानने के लिए अभियान चलाए हुए हैं।
सुकमा जिला तेलंगाना और आंध्र प्रदेश की सीमा पर है और इस जिले के सुदूर जंगल में बसे गांवों का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यहां तक पहुंचने के लिए दोनों राज्यों से होकर गुजरना पड़ता है। घने जंगलों में बसे लोग अपनी समस्याओं को लेकर थाने तक जाने का साहस नहीं कर पाते। क्योंकि, उन्हें इस बात का डर होता है कि थाने गए तो नक्सली मुखबरी के शक में उन्हें प्रताड़ित कर सकते हैं।
पुलिस अधीक्षक शलभ सिन्हा ने बताया, “ग्रामीणों को नक्सलवाद के दुष्प्रभावों से अवगत कराते हुए उनमें जागरूकता लाने और उनकी समस्याओं पर तुरंत कार्रवाई के लिए चलता-फिरता थाना शुरू किया गया है।” उन्होंने बताया कि एक वाहन के जरिए गांव-गांव घूमा जाएगा जिसे ‘अंजोर थाना’ नाम दिया गया है।” सिन्हा ने बताया कि यह मोबाइल थाना नियमित तौर पर एक थाना क्षेत्र के सुदूर गांव तक जाएगा। इसके अलावा थाना साप्ताहिक बाजारों तक पहुंचेगा, क्योंकि बाजार में सुदूर गांवों के लोग खरीदारी करने आते हैं।
उन्होंने आगे बताया कि यह वाहन जिस भी थाना क्षेत्र में होगा, उस समय संबंधित थाना क्षेत्र का पुलिस बल उसके साथ मौजूद रहेगा। सिन्हा ने कहा कि इस दौरान वाहन पर लगे लाउड स्पीकर से लोगों को जागरूक किया जाएगा। साथ ही पीड़ितों की रिपोर्ट भी दर्ज की जाएगी। इस नई व्यवस्था से वे लोग भी चलते-फिरते थाने तक आएंगे, जो पुलिस थाना जाने से हिचकते हैं। अंजोर का अर्थ होता है उजाला। इस वाहन के चारों ओर बोर्ड व फ्लेक्स लगाए गए हैं, जिन पर नई उम्मीद और भरोसे के संदेश लिखे हुए हैं।
सुकमा वह जिला है जहां नक्सलवादियों की गतिविधियों के चलते सरकारी कर्मचारी तक गांव जाने से डरते हैं। कर्मचारियों के इसी डर को खत्म करने के लिए पिछले दिनों जिलाधिकारी चंदन कुमार और पुलिस अधीक्षक शलभ सिन्हा ने मोटर साइकिल से गांवों तक जाने का साहस दिखाया था। अब जिला प्रशासन ने लोगों में भरोसा जगाने के लिए बुधवार को चलता-फिरता थाना रवाना किया है। यह थाना लोगों में पुलिस के डर को तो खत्म करेगा ही, साथ में उनके प्रति भरोसा भी जगाएगा।