महाराष्ट्र में शिवसेना की सरकार गिरने के बाद अब राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के अध्यक्ष शरद पवार ने पार्टी के सभी विभागों और पार्टी सेल को तत्काल प्रभाव से भंग कर दिया है. एनसीपी के राष्ट्रीय महासचिव प्रफुल्ल पटेल ने इस बारे में जानकारी दी। प्रफुल्ल पटेल ने ट्वीट कर कहा, ‘NCP के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद पवार के अनुमोदन से, सभी विभाग और प्रकोष्ठ तत्काल प्रभाव से भंग किये जाते हैं’। ऐसा माना जा रहा है कि एनसीपी ने यह कदम शिवसेना में पड़ी फूट को देखते हुए लिया गया है।
With the approval of our National President Hon’ble Shri Sharad Pawar Saheb, all the National level Departments and Cells of @NCPspeaks excluding Nationalist Women’s Congress, Nationalist Youth Congress and Nationalist Students Congress stand dissolved with immediate effect.
— Praful Patel (@praful_patel) July 20, 2022
कदम ने शरद पवार पर लगाया था आरोप
महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री रामदास कदम ने कुछ दिन पहले शरद पवार पर शिवसेना को तोड़ने का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि उन्होंने शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे को उसका सबूत भी दिया था. उन्होंने कहा था कि शिवसेना को व्यवस्थित ढंग से पवार ने कमजोर किया किया कुछ कार्यकर्ताओं ने इसका विरोध भी किया था। कदम ने कहा यह भी कहा था कि महाराष्ट्र की सियासत में ये जो सीएम एकनाथ शिंदे और शिवसेना से बाघी हुए विधायकों ने की बगावत की इसके लिए हमें शुक्रिया अदा करना चाहिए कि ऐसा सरकार के ढाई साल के कार्यकाल में ही हो गया। वरना 5 साल के कार्यकाल में तो शिवसेना खत्म ही हो जाती। 5-10 विधायक भी अगला विधानसभा चुनाव नहीं जीत पाते’।
महेश तापसे ने किया खंडन
एनसीपी प्रवक्ता महेश तापसे ने कदम के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए उनकी बात का खंडन किया था। उन्होंने कहा कि शिवसेना में टूट के पीछे बीजेपी का हाथ है और बागी नेता पवार पर हमला बोलकर ध्यान हटाना चाहते हैं। इस बीच शिवसेना के एकनाथ शिंदे गुट ने चुनाव आयोग को खत लिखकर पार्टी का चुनाव चिह्न ‘धनुष-बाण’ आवंटित करने की मांग की है।
शिवसेना में पड़ी थी फूट
आपको बता दे कि उद्धव ठाकरे की अगुआई वाली शिवसेना सरकार की कांग्रेस के अलावा एनसीपी भी गठबंधन में सहयोगी थी। अचानक से एक दिन पार्टी के जाने माने चेहरे एकनाथ शिंदे ने शिवसेना के खिलाफ बगावत कर दी थी। शिंदे के साथ शिवसेना के अन्य मंत्री भी बागी हो गए और अपना एक गुट बना लिया था, जिसके बाद उन्होंने भाजपा के साथ हाथ मिला लिया जिससे महाराष्ट्र से उद्धव की शिवसेना सरकार टूट गई।