देहरादून : जल निगम की तीन अहम पेयजल योजनाओं में गड़बड़ियों की जांच लगभग दस साल बाद अब जाकर पूरी हुई है। इन तीनों पेयजल योजनाओं में कुल नौ इंजीनियर गड़बड़ी के दोषी पाए गए हैं। इनसे रिकवरी का निर्णय लिया गया है। बीरोंखाल, भरसार विश्वविद्यालय और कैलाड़ पंपिंग पेयजल योजना में पहले गड़बड़ी की जांच हुई। इसके बाद दोषी इंजीनियरों को चिन्हित किया गया। पेयजल योजनाओं में गड़बड़ियों के लिए दोषी लोगों में पूर्व प्रबंध निदेशक, महाप्रबंधक और अधीक्षण अभियंता स्तर के अफसर भी शामिल हैं।
इनमें से पांच रिटायर हो चुके हैं जबकि कुछ उत्तर प्रदेश जा चुके हैं। पेयजल सचिव अरविंद सिंह ह्यांकी ने दोषी इंजीनियरों पर कार्रवाई तय की। दोषी इंजीनियरों में से जो रिटायर हो चुके हैं, उनकी ग्रेच्युटी और नगदीकरण की रकम जब्त की जा रही है। जबकि कई दोषी इंजीनियर अब भी अहम पदों पर तैनात हैं। ऐसे इंजीनियरों को चार्जशीट थमा दी गई है। पौड़ी जिले की बीरोंखाल पंपिंग पेयजल योजना में सिविल डिवीजन ने योजना के हेड का गलत चयन कर दिया था। इस कारण विद्युत एवं यांत्रिक डिवीजन ने गलत क्षमता के पंप खरीद लिए।
जो पंप खरीदे गए, उनके जरिए पानी असल जगह तक पहुंच ही नहीं पाया। इसके बाद पंप बदलने पड़े। इससे वित्तीय नुकसान हुआ। इस योजना में तत्कालीन एक्सईएन और पूर्व प्रबंध निदेशक रविंद्र कुमार, तत्कालीन अधीक्षण अभियंता और मौजूदा महाप्रबंधक गढ़वाल निर्माण विंग सुभाष चंद्र, तत्कालीन जूनियर इंजीनियर बीपी पाठक, यूसी झा, एसपी गुप्ता को दोषी ठहराया गया है। वीर चंद्र सिंह गढ़वाली औद्यानिकी भरसार विवि में बिना पानी के ही टैंक बना दिए गए। योजना की लागत बढ़ाने को बेवजह प्रोटेक्शन वॉल बना दी गई।