लालकुआं : अब राज्य में अवैध खनन, पातन, अतिक्रमण, वनाग्नि समेत तमाम अवैध कार्यों को रोकने के लिए वन विभाग ड्रोन कैमरे का इस्तेमाल करेगी। जिसके लिए आइआइडी के प्रशिक्षकों के द्वारा पश्चिमी वृत के पांचों प्रभागों के दो-दो वन कर्मियों को ट्रेनिंग देकर ड्रोन कैमरे को उड़ाना सिखा दिया है। अवैध खनन व पातन को रोकने के लिए वन विभाग को काफी मशक्कत करनी पड़ती है। माफिया वन विभाग की गाड़ी को देखते ही फरार हो जाता है। इसके अलावा जंगल के भीतर लगने वाली आग पर नजर रखना भी काफी चुनौतीपूर्ण था।
हिंसक वन्य जीवों की लोकेशन ट्रेस करना भी खतरे से खाली नहीं था। यही नहीं जंगल के अंदर होने वाले वैध व अवैध क्रिया कलापों पर भी नजर रखना चुनौतीपूर्ण था। इसी को देखते हुए वन विभाग ने जंगल में ड्रोन कैमरे से नजर रखने का प्लान तैयार किया है। जिसके तहत पूरे राज्य के प्रत्येक वन प्रभाग से दो वन कर्मियों को ड्रोन उड़ाने में पारंगत किया जा रहा है। इसी क्रम में पिछले दिनों पश्चिमी वृत के पांच प्रभागों के दस वन कर्मियों को इंडियन इंस्ट्टीयूट ऑफ ड्रोन नई दिल्ली के प्रशिक्षकों प्रोजेक्ट मैनेजर अतुल भगत, ड्रोन इंजीनियर रामशरद कुमार, जयसूर्या, विनोद द्वारा पांच दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया। इसके बाद वन कर्मियों द्वारा रविवार को गौला नदी में ड्रोन उड़ाने का अभ्यास कराया गया।
उत्तराखंड फॉरेस्ट ड्रोन फोर्स बनींः सूबे के जंगलों पर ड्रोन कैमरे से नजर रखने के लिए प्रमुख वन संरक्षक जयराज की अध्यक्षता में 21 दिसंबर 2018 को उत्तराखंड फॉरेस्ट ड्रोन फोर्स का गठन किया गया था। रविवार को उसमें संशोधन कर इंफॉरमेशन टेक्नोलॉजी डेपलपमेंट एजेंसी देहरादून के निदेशक के अलावा वन संरक्षक यमुना वृत पीके पात्रों, वन संरक्षक पश्चिमी वृत पराग मधुकर धकाते, वन संरक्षक अमित वर्मा व उप वन संरक्षक तराई पूर्वी वन प्रभाग नितीशमणी त्रिपाठी को सदस्य बनाया गया है।
इस टीम में पहले वन संरक्षक अमित वर्मा के स्थान पर मुख्य वन संरक्षक वन्य जीव प्रशासन व संरक्षण सुरेंद्र मेहरा को रखा गया था। उप वन संरक्षक तराई पूर्वी वन प्रभाग नितीशमणि त्रिपाठी ने बताया कि पश्चिमी वृत के पांचों प्रभागों के दस कर्मचारियों को ड्रोन उड़ाने के लिए प्रशिक्षित किया जा चुका है।