कोरोना की दूसरी लहर थमते ही मैदानी क्षेत्रों के लोगों ने पहाड़ी इलाकों का रुख कर लिया है। महामारी के बीच सैंकड़ों की संख्या में टूरिस्ट रोजाना उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश पहुंचे रहे है। इसके साथ ही प्रशासन की चिंता बढ़ गयी है। हाल में ही उत्तराखंड के मशहूर कैंपटी फॉल में कोरोना के बीच भारी संख्या में लोग नजर आए थे।
लगातार उमड़ रही भीड़ और कोरोना के नए वैरिएंट को देखते हुए उत्तराखंड सरकार ने सख्ती दिखाई है। कैंपटी फॉल के हाल में सामने आए वीडियो के बाद उत्तराखंड सरकार ने निर्णय लिया है कि कैंपटी फॉल में एक बार में सिर्फ 50 टूरिस्ट ही जा सकेंगे, इसके लिए उन्हें सिर्फ आधे घंटे का ही समय मिलेगा।
टिहरी गढ़वाल की DM इवा आशीष श्रीवास्तव ने बताया कि अब मसूरी के कैंपटी फॉल (झरना) में केवल 50 टूरिस्ट्स को जाने की अनुमति है। टूरिस्ट्स आधे घंटे से ज्यादा कैंपटी फॉल पर नहीं रुक सकते। उनपर नजर रखने के लिए चेक-पोस्ट भी स्थापित किया जाएगा।
प्रशासन को शिकायत मिली है कि कैंपटी फॉल में नहाने के दौरान पर्यटक कोविड-19 संबंधी नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं, जिससे संक्रमण फैलने का खतरा है। मीडिया और सोशल मीडिया पर कैंपटी फॉल में सैकड़ों टूरिस्ट्स के एक साथ नहाने की तस्वीरें वायरल होने के बाद DM इवा आशीष श्रीवास्तव ने यह आदेश जारी किया।
कांवड़ यात्रा पर विचार-विमर्श के बाद निर्णय
कांवड़ यात्रा पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि पड़ोसी राज्यों के साथ व्यापक विचार-विमर्श करने के बाद इस संबंध में निर्णय लिया जाएगा। मुख्यमंत्री धामी ने पड़ोसी राज्यों के साथ इस संबंध में व्यापक विचार -विमर्श कर सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए समुचित निर्णय लेने के निर्देश दिए।
कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के कारण पिछले साल कांवड़ यात्रा स्थगित कर दी गई थी। हाल में यहां पुलिस अधिकारियों की अंतरराज्यीय समन्वय बैठक में भी यह राय बनी थी कि संक्रमण की संभावित तीसरी लहर के खतरे को देखते हुए फिलहाल कांवड़ यात्रा को स्थगित रखना चाहिए।
हर साल, जुलाई में श्रावण का महीना आते ही कांवड़ यात्रा शुरू हो जाती है, जो अगस्त की शुरूआत तक चलती है और इस एक पखवाड़े के दौरान उत्तर प्रदेश, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश सहित अन्य राज्यों से लाखों शिव भक्त गंगा जल लेने के लिए हरिद्वार आते हैं। गंगा जल से वह अपने गांवों और घरों में शिव मंदिरों में ‘जलाभिषेक’ करते हैं।