उत्तराखंड विधानसभा सत्र के चौथे दिन सोमवार को सदन में प्रश्नकाल शुरू होते ही विपक्षी सदस्यों ने उत्तराखंड श्राइन बोर्ड के गठन को लेकर लाए गए विधेयक का विरोध में हंगामा किया। विपक्षी कांग्रेस विधायक वेल में आकर धरने पर बैठ गए। उन्होंने सरकार पर तीर्थपुरोहितों की उपेक्षा और धार्मिक मान्यताओं से खिलवाड़ का आरोप लगाते हुए इस विधेयक को वापस लेने की मांग की। हंगामा के कारण प्रश्नकाल के दौरान सदन की कार्यवाही चार बार स्थगित करनी पड़। प्रश्नकाल विपक्ष के हंगामे की भेंट चढ़ गया।
प्रश्नकाल के बाद भी सदन में हंगामा होता रहा, इस दौरान सरकार ने चारधाम श्राइन बोर्ड विधेयक सदन में पेश कर दिया। सरकार ने दो विधेयक सदन के पटल पर रखे। सरकार का कहना है कि वह वैष्णोदेवी और तिरुपति बालाजी मंदिर की तर्ज पर चारधाम श्राइन बोर्ड बनाकर यात्रा संचालन करेगी। श्राइन बोर्ड बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री धाम और 51 मंदिरों की व्यवस्था और मैनेजमेंट संभालेगा।
केदारनाथ विधायक मनोज रावत आरोप लगाया कि सरकार अपनी मनमर्जी पर उतारू है। सरकार के पास बहुमत है इसलिए नियमो को ताक पर रखा जा रहा है। कांग्रेस ने श्राइन बोर्ड विधेयक को लेकर कार्यमंत्रणा समिति में जानकारी न देने का आरोप लगाया है।
मदन कौशिक ने कहा कि श्राइन बोर्ड बनने के बाद ही वैष्णोदेवी मंदिर का विकास हुआ और लाखों श्रद्धालु प्रति वर्ष सुविधाओं के साथ दर्शन कर रहे। सरकार दक्षिण भारत के तिरुपति बालाजी मंदिर सहित तमाम मंदिरों में श्राइन बोर्ड व्यवस्था की ़खूबियाँ भी गिनाया। उन्होंने कहा कि श्राइन बोर्ड बनने से न केवल नये रोजगार पैदा होंगे बल्कि यात्रा व्यवस्था सुधरेगी और मंदिरों के हालात बेहतर होगी।
चारधाम श्राइन बोर्ड के अध्यक्ष मुख्यमंत्री होंगे और इसमें संस्कृति मंत्री से लेकर तीन सांसद और छह विधायक शामिल होंगे। तीर्थ पुरोहित समाज के तीन प्रतिनिधि भी इसका हिस्सा होंगे और सीनियर आईएएस सीईओ के तौर पर बोर्ड का जिम्मा संभालेगा। बोर्ड की सभी अहम जिम्मेदारियाँ हिन्दू धर्मावलंबियों को ही दी जाएँगी।