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‘पद्मश्री’ गायक ने चुनावी हार के बाद उठाए ईवीएम और कांग्रेस की एकता पर सवाल

कांग्रेस उम्मीदवार की गायकी का वीडियो बनाते देखे गए थे। बाद में उन्होंने इस वीडियो को अपने ट्विटर अकाउंट पर साझा भी किया था।

लोकसभा चुनाव में मध्य प्रदेश में बड़े अंतर से मात खाने वाले कांग्रेस उम्मीदवारों में शामिल मशहूर लोक गायक प्रहलाद सिंह टीपान्या ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) की विश्वसनीयता पर संदेह जताने के साथ ही राज्य में सत्तारूढ़ कांग्रेस की भीतरी एकता पर भी सवाल उठाए हैं। टीपान्या का कहना है कि सूबे में कांग्रेस के ज्यादातर नेताओं के बीच खासी कटुता है और चुनावों के दौरान पार्टी कार्यकर्ताओं में जमीनी स्तर पर समर्पण की कमी थी।

 गैर राजनीतिक पृष्ठभूमि के पराजित उम्मीदवार ने यह बात ऐसे वक्त कही है, जब सूबे की कुल 29 में से 28 लोकसभा सीटों पर भाजपा की ऐतिहासिक चुनावी जीत के बाद कांग्रेस संगठन में उथल-पुथल है। अनुसूचित जाति (एससी) के लिये आरक्षित देवास लोकसभा क्षेत्र में भाजपा उम्मीदवार महेंद्र सिंह सोलंकी (35) ने कांग्रेस प्रत्याशी टीपान्या (65) को 3.72 लाख मतों से हराया। सोलंकी, सिविल जज के पद से इस्तीफा देकर चुनावी राजनीति में उतरे थे।

 रोचक संयोग की बात है कि सोलंकी और टीपान्या पर्चा भरने से पहले सक्रिय राजनीति से कोसों दूर थे और दोनों उम्मीदवारों ने अपने जीवन का पहला लोकसभा चुनाव लड़ा था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रचंड चुनावी लहर को प्रदेश में सत्तारूढ़ कांग्रेस का सूपड़ा साफ होने का सबसे बड़ा कारण माना जा रहा है। हालांकि, सियासी विश्लेषकों के इस मत को टीपान्या खारिज करते हैं कि मोदी लहर के मुख्य कारक होने के चलते उन्हें भारी पराजय का सामना करना पड़ा।

 लोक संगीत के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिये वर्ष 2011 में ‘पद्मश्री’ से सम्मानित हस्ती ने रविवार को ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘यह सच है कि भाजपा अपने प्रचार अभियान में मोदी के नाम पर ही वोट मांग रही थी। लिहाजा हो सकता है कि मतदाताओं पर इसका थोड़ा-बहुत असर पड़ा हो। लेकिन मुझे अब तक यकीन नहीं हो रहा है कि मैं इतने बड़े अंतर से चुनाव हार सकता हूं।’ 

उन्होंने ईवीएम के खिलाफ हालांकि कोई सबूत पेश नहीं किया। लेकिन कहा, ‘मुझे लगता है कि मेरे चुनाव क्षेत्र में ईवीएम में कोई गड़बड़ रही होगी। ईवीएम से चुनाव नहीं कराए जाने चाहिए।’ पश्चिमी मध्य प्रदेश की मालवी बोली की लोक शैली में कबीर वाणी गाने वाले 65 वर्षीय कलाकार ने कहा, ‘कांग्रेस के अधिकतर नेताओं में ठसक है। उनमें एक-दूसरे के प्रति कटुता भी बहुत है।

 नतीजतन इन नेताओं के समर्थक उन पार्टी कार्यकर्ताओं में भी आपसी मन-मुटाव है जो जमीनी स्तर पर काम करते हैं।’ उन्होंने कहा, ‘मुझे यह भी लगता है कि कांग्रेस के लोगों ने जमीनी स्तर पर समुचित रूप से समर्पित होकर लोकसभा चुनाव नहीं लड़ा। उन्होंने मतदाताओं से पर्याप्त सम्पर्क नहीं रखा। केवल चुनावों के समय मतदाताओं के पास जाने से काम नहीं चलता।’ 

टीपान्या ने राज्य के नवम्बर 2018 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के निर्वाचित जन प्रतिनिधियों की चुनावी सक्रियता पर भी सवाल उठाये। उन्होंने कहा, ‘मेरे चुनाव क्षेत्र में प्रदेश की कांग्रेस सरकार के चार मंत्री और पार्टी के दो विधायक हैं। इनके द्वारा मुझे चुनाव जिताने की कवायद तो अलग ही विषय है। कम से कम इसके प्रयास भी नहीं किए गए कि (भाजपा उम्मीदवार के साथ) मेरी चुनावी टक्कर बराबरी की हो सके।’ 

बहरहाल, कांग्रेस के मीडिया विभाग की मध्य प्रदेश इकाई की प्रमुख शोभा ओझा ने सूबे में पार्टी में किसी भी तरह की चुनावी गुटबाजी की बात को सिरे से खारिज किया। उन्होंने कहा, ‘सूबे की सभी 29 सीटों पर समस्त कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं ने मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ा, जबकि भाजपा का पूरा प्रचार अभियान केवल मोदी पर केंद्रित रहा।’ 

ओझा ने कहा, ‘देश भर में भाजपा ने चुनावों के दौरान विकास और रोजगार जैसे बुनियादों मुद्दों पर कोई बात नहीं की। भाजपा ने छद्म राष्ट्रवाद और साम्प्रदायिकता के आधार पर मतदाताओं के बीच चुनावी ध्रुवीकरण किया।’ 

टीपान्या के लिए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी चुनाव प्रचार किया था। देवास संसदीय क्षेत्र के शुजालपुर कस्बे में 11 मई को राहुल जब प्रचार के लिए पहुंचे, तो उनकी सभा की शुरुआत टीपान्या के मालवी बोली में गाये लोक गीत ‘जरा धीरे-धीरे गाड़ी हांको मेरे राम गाड़ी वाले’ से हुई थी। राहुल अपने मोबाइल से कांग्रेस उम्मीदवार की गायकी का वीडियो बनाते देखे गए थे। बाद में उन्होंने इस वीडियो को अपने ट्विटर अकाउंट पर साझा भी किया था। 

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