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नामीबिया से चीतों को लाने वाला Plane जयपुर के बजाय ग्वालियर में होगा Land, आखिरी समय पर क्यों बदला फैसला ?

नामीबिया से आठ चीतों के आगमन से एक दिन पहले शुक्रवार को अधिकारियों ने बताया कि चीतों को लाने वाला विशेष मालवाहक विमान राजस्थान के जयपुर के बजाय अब मध्य प्रदेश के ग्वालियर में उतरेगा।

नामीबिया से आठ चीतों के आगमन से एक दिन पहले शुक्रवार को अधिकारियों ने बताया कि चीतों को लाने वाला विशेष मालवाहक विमान राजस्थान के जयपुर के बजाय अब मध्य प्रदेश के ग्वालियर में उतरेगा। एक अधिकारी ने कहा कि इन चीतों को शनिवार तड़के ग्वालियर हवाई अड्डे पर लाया जाएगा, जहां से उन्हें एक विशेष हेलीकॉप्टर से मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले के कुनो राष्ट्रीय उद्यान (केएनपी) पहुंचाया जाया जाएगा। केएनपी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इनमें से तीन चीतों को वहां बनाए गए विशेष बाड़ों में छोड़ देंगे।
शेष हेलीकॉप्टर के जरिये केएनपी भेजा जाएगा
पहले की योजना के तहत इन चीतों को लाने वाले विमान को राजस्थान के जयपुर में उतरना था, जहां से उन्हें केएनपी भेजा जाता। प्रधान मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ) वन्यजीव जेएस चौहान ने शुक्रवार को बातचीत में कहा, ‘‘चीते ग्वालियर पहुंचेगे और वहां से उन्हें एक विशेष हेलीकॉप्टर के जरिये केएनपी भेजा जाएगा।’’ अधिकारियों ने बताया कि पांच मादा और तीन नर चीतों को नामीबिया की राजधानी विंडहोक से विशेष मालवाहक विमान बोइंग 747-400 के जरिये ग्वालियर हवाई अड्डे पर लाया जाएगा। 
नर चीतों की आयु 4.5 साल से 5.5 साल के बीच
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पुष्टि की कि ग्वालियर से चीतों को भारतीय वायु सेना के चिनूक हेलीकॉप्टर के जरिये केएनपी हेलीपैड पर उतारा जाएगा। चीता संरक्षण कोष (सीसीएफ) के मुताबिक, केएनपी लाए जा रहे चीतों में से पांचों मादा की उम्र दो से पांच साल के बीच, जबकि नर चीतों की आयु 4.5 साल से 5.5 साल के बीच है।
देश में अंतिम चीते की मौत 1947 में कोरिया जिले में हुई थी, जो छत्तीसगढ़ जिले में स्थित है। 1952 में चीते को भारत में विलुप्त घोषित किया गया था। ‘अफ्रीकन चीता इंट्रोडक्शन प्रोजेक्ट इन इंडिया’ 2009 में शुरू हुआ था और इसने हाल के कुछ वर्षों में गति पकड़ी है। भारत ने चीतों के आयात के लिए नामीबिया सरकार के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं।

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