प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मणिपुर में वाटर सप्लाई प्रोजेक्ट की आधारशिला रखी। इस दौरान उन्होंने कहा कि जब तक कोरोना वायरस की वैक्सीन नहीं बन जाती तब तक हमें इस महामारी के खिलाफ पूरे जोश के साथ लड़ना होगा।
प्रधानमंत्री ने कहा, मणिपुर में कोरोना वायरस के प्रसार को नियंत्रित करने के लिए राज्य सरकार दिन-रात काम कर रही है। राज्य सरकार ने लॉकडाउन के दौरान मणिपुर के लोगों के लिए आवश्यक व्यवस्था करने, या उन्हें वापस लाने के लिए विशेष व्यवस्था करने के लिए सभी कदम उठाए हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा, आज का ये कार्यक्रम, इस बात का उदाहरण है कि कोरोना के इस संकट काल में भी देश रुका नहीं है, देश थमा नहीं है। जब तक वैक्सीन नहीं आती, जहां कोरोना के खिलाफ हमें मजबूती से लड़ते रहना है वहीं विकास के कार्यों को भी पूरी ताकत से आगे बढ़ाना है।
उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर भारत (कोरोना और बाढ़) दोहरी चुनौती से निपट रहा है। भारी वर्षा से काफी नुकसान हुआ है, कई लोगों की जान चली गई, कई लोग विस्थापित हुए हैं। मैं सभी प्रभावित परिवारों के प्रति अपनी सहानुभूति व्यक्त करता हूं। मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि देश इस कठिन समय में आपके साथ खड़ा है।
प्रधानमंत्री ने कहा, पूर्वोत्तर भारत देश की प्राकृतिक, सांस्कृतिक विविधता और सांस्कृतिक शक्ति का एक बड़ा प्रतीक है। ऐसी स्थिति में, जब आधुनिक बुनियादी ढांचे का निर्माण किया जाता है, तो पर्यटन को बहुत ताकत मिलती है। मणिपुर सहित उत्तर पूर्व की पर्यटन क्षमता अभी भी अस्पष्ट है।
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पीएम मोदी ने कहा कि नॉर्थ ईस्ट के लोगों को लोकल पर गर्व होता है, जब मैं वहां का गमछा पहनता हूं तो लोगों को गर्व होता है। बांस के क्षेत्र में भी नॉर्थ ईस्ट को लाभ होगा, जो राज्य एक्टिव होगा उसे काफी फायदा होने वाला है। उन्होंने कहा कि नेशनल बैंबू मिशन के तहत बांस किसानों, हैंडीक्राफ्ट से जुड़े आर्टिस्ट्स और दूसरी सुविधाओं के लिए सैकड़ों करोड़ रुपए का निवेश किया जा रहा है। इससे नॉर्थ ईस्ट के युवाओं को, यहां के स्टार्ट अप्स को लाभ होगा।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज के जल प्रोजेक्ट से सिर्फ आज नहीं बल्कि भविष्य की पीढ़ी को भी फायदा होने वाला है। शुद्ध पानी से सिर्फ प्यास नहीं बुझाएगा, लोगों को स्वस्थ रखने और रोजगार देने में का भी काम करेगा। पिछले साल जब जल जीवन मिशन की शुरुआत हो रही थी, तब मैंने कहा था कि हमें पहले की सरकारों के मुकाबले तेजी से काम करना होगा। हमारा लक्ष्य 15 करोड़ परिवारों तक पानी पहुंचाना था, लॉकडाउन के वक्त में भी गांव-गांव में पाइपलाइन बिछाई गई है।
उन्होंने कहा, आज स्थिति ये है कि देश में करीब-करीब एक लाख वॉटर कनेक्शन हर रोज दिए जा रहे हैं। यानि हर रोज एक लाख माताओं-बहनों के जीवन से पानी की इतनी बड़ी चिंता को हम दूर कर रहे हैं, उनका जीवन आसान बना रहे हैं। ये तेज़ी इसलिए भी संभव हो पा रही है, क्योंकि जल जीवन मिशन एक जनआंदोलन के रूप में आगे बढ़ रहा है।
इसमें गांव के लोग, गांव की बहनें, गांव के जनप्रतिनिधि ही तय कर रहे हैं कि कहां पाइप बिछेगी, कहां पानी का सोर्स बनेगा, कहां टैंक बनेगा, कहां कितना बजट लगेगा। हमारा ये नॉर्थ ईस्ट, एक प्रकार से पूर्वी एशिया के साथ हमारे प्राचीन सांस्कृतिक रिश्तों और भविष्य के व्यापार, यात्रा और पर्यटन के रिश्तों का गेटवे है। इसी सोच के साथ मणिपुर सहित पूरे नॉर्थ ईस्ट में कनेक्टिविटी से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर पर निरंतर बल दिया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि अब आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत लोकल प्रोडक्ट्स में वैल्यू एडिशन और उसकी मार्केटिंग के लिए कल्स्टर्स विकसित किए जा रहे हैं। इन क्लस्टर्स में एग्रो स्टार्टअप्स और दूसरी इंडस्ट्री को हर सुविधाएं दी जाएंगी। एक तरफ जहां मणिपुर में ब्लॉकेड इतिहास का हिस्सा बन चुके हैं, वहीं असम में दशकों से चला आ रहा हिंसा का दौर थम गया है। त्रिपुरा और मिज़ोरम में भी युवाओं ने हिंसा के रास्ते का त्याग किया है। अब ब्रू-रियांग शरणार्थी एक बेहतर जीवन की ओर बढ़ रहे हैं।
नॉर्थ ईस्ट में देश के विकास का ग्रोथ इंजन बनने की क्षमता है। दिनों-दिन मेरा ये विश्वास इसलिए गहरा हो रहा है क्योंकि अब पूरे नॉर्थ ईस्ट में शांति की स्थापना हो रही है। नॉर्थ ईस्ट के लिए एक और बड़ा काम हो रहा है, इनलैंड वाटरवेस के क्षेत्र में। यहां अब 20 से ज्यादा नेशनल वॉटरवेज़ पर काम चल रहा है। भविष्य में यहां की कनेक्टिविटी सिर्फ सिलीगुड़ी कॉरिडोर तक सीमित नहीं रहेगी।
पीएम मोदी ने कहा कि वैज्ञानिकों के मुताबिक, हमारे नॉर्थ ईस्ट में किसान अगर पॉमोलीन की खेती पर चले जाएं तो देश को काफी फायदा होगा। आज पॉमोलीन ऑयल की देश में डिमांड है, ऐसे में राज्य सरकारों को इसकी ओर ध्यान देना चाहिए। इसके लिए योजनाएं बनाई जाए और केंद्र सरकार पूरा सहयोग करेगी।