प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कोलकाता पत्तन न्यास का नामकरण जन संघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी के नाम पर कर दिया, जिसकी विपक्षी खेमे ने निंदा की। विपक्ष ने कहा कि वह ‘गेम चेंजर (महत्वपूर्ण बदलाव लाने)’ के बजाय सिर्फ ‘‘नाम बदलने वाले’’ रह गए हैं।
मोदी ने कोलकाता पत्तन न्यास के 150 वर्ष पूरा होने के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित किया और मुखर्जी तथा बी आर आंबेडकर को याद किया। उन्होंने कहा कि उनके योगदान के कारण ही आजादी के बाद देश का विकास हुआ, लेकिन जब उन्होंने सरकार से इस्तीफा दे दिया तब उनके सुझावों को लागू नहीं किया गया।
मोदी ने यहां नेताजी इनडोर स्टेडियम में आयोजित कार्यक्रम में कहा, ‘‘मैं घोषणा करता हूं कि इस बंदरगाह (कोलकाता पत्तन न्यास) को अब श्यामा प्रसाद मुखर्जी के रूप में जाना जाएगा। वह भारत में औद्योगीकरण के जनक थे, जिन्होंने एक राष्ट्र एक संविधान के लिए अपना जीवन बलिदान कर दिया।’’
साल 2021 में होने वाले विधानसभा चुनाव में सत्ता परिवर्तन का संकेत देते हुए उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार केंद्र की योजनाओं को लागू नहीं कर रही क्योंकि इससे किसी ‘‘गिरोह’’ को फायदा नहीं पहुंचता, लेकिन राज्य के लोगों को लंबे समय तक इन लाभों से वंचित नहीं रखा जाएगा।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पत्तन न्यास के कार्यक्रम में आना था लेकिन वह इसमें शामिल नहीं हुईं और न ही तृणमूल कांग्रेस का कोई मंत्री ही इस कार्यक्रम में शामिल हुआ। उन्होंने कहा, ‘‘जब कोई गिरोह नहीं है या कोई कमीशन शामिल नहीं है तो कोई क्यों केंद्र सरकार की योजनाओं को लागू करेगा? मैं नहीं जानता कि वे (राज्य सरकार) आयुष्मान भारत, पीएम किसान सम्मान निधि जैसी केंद्रीय योजनाओं को मंजूरी देंगे या नहीं लेकिन अगर वे ऐसा करते हैं तो इससे बंगाल के लोगों को ही फायदा मिलेगा।’’
प्रधानमंत्री ने यह भी दावा किया कि उन्हें यह देखकर बहुत दुख होता है कि राज्य में गरीबों को केंद्र की कल्याणकारी योजनाओं का फायदा नहीं मिल रहा। उन्होंने कहा, ‘‘देश भर में आठ करोड़ किसानों को (केंद्र की योजनाओं से) फायदा मिल रहा है। लेकिन मेरे दिल में हमेशा से इस बात की (बंगाल में योजनाएं लागू नहीं करने की) कसक रहती है। मैं ईश्वर से हमेशा किसानों एवं गरीब मरीजों के कल्याण के लिए प्रार्थना करूंगा।
ईश्वर उन्हें (बंगाल सरकार को) सद्बुद्धि दे…।’’ उन्होंने जोर देकर कहा, ‘‘हालांकि मुझे लगता है कि पश्चिम बंगाल के लोग लंबे समय तक इन योजनाओं से वंचित नहीं रह पाएंगे।’’ मोदी ने इस अवसर पर एक स्मृति डाक टिकट जारी किया और कहा कि केंद्र में उनकी सरकार बंगाल, यहां के गरीबों, वंचितों एवं शोषित तबके के विकास के लिए हर संभव प्रयास कर रही है।
उन्होंने कोलकाता बंदरगाह के विस्तार एवं आधुनिकीकरण के लिए बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का भी उद्घाटन किया और आधारशिला रखी। उन्होंने कहा, ‘‘जलमार्गों के विकास से पूर्वी भारत में औद्योगिक केंद्रों के साथ कोलकाता पत्तन न्यास के संपर्क में सुधार हुआ है, जिससे हमारे पड़ोसी देशों भूटान, म्यामां और नेपाल के साथ कारोबार सुगम हुआ है।’’
मोदी ने कहा, ‘‘हमारे देश के तट विकास के द्वार हैं, (केंद्र) सरकार ने संपर्क सुधारने के लिए सागरमाला कार्यक्रम शुरू किया है।’’ बंदरगाह का नाम बदलने के प्रधानमंत्री के कदम की आलोचना करते हुए माकपा पोलितब्यूरो के सदस्य मोहम्मद सलीम ने कहा कि मोदी ‘‘गेम चेंजर (महत्वपूर्ण बदलाव लाने वाले)’’ के बजाय ‘‘नाम बदलने वाले’’ बन गए हैं।
सलीम ने कहा, ‘‘जब नरेंद्र मोदी सत्ता में आए तो हमने सोचा कि सरकार महत्वपूर्ण बदलाव लाएगी। लेकिन अब हम देख रहे हैं कि यह सरकार सिर्फ नाम बदलने वाली रह गई है। हालांकि, नाम परिवर्तन से बंदरगाह के प्रदर्शन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।’’