प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि दुनिया विभिन्न उपचार शैलियों को आजमाकर आयुर्वेद की प्राचीन उपचार पद्धति की ओर लौट रही है।प्रधानमंत्री ने गोवा स्थित अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान, गाजियाबाद स्थित राष्ट्रीय यूनानी चिकित्सा संस्थान और दिल्ली स्थित राष्ट्रीय होम्योपैथी संस्थान का गोवा से उद्घाटन किया।मोदी नौवें विश्व आयुर्वेद सम्मेलन और आरोग्य ‘एक्सपो’ के समापन सत्र को संबोधित करने के लिए आज दोपहर गोवा पहुंचे थे।
आयुर्वेद सम्मेलन में 50 से अधिक देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।उन्होंने कहा, “दुनिया ने उपचार के कई तरीके आजमाए हैं और अब यह आयुर्वेद की प्राचीन पद्धति की ओर लौट रही है। आयुर्वेद न केवल शारीरिक स्वास्थ्य, बल्कि समग्र स्वास्थ्य की बात करता है।”प्रधानमंत्री ने 30 से अधिक देशों में आयुर्वेद को एक पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली के रूप में स्वीकार किए जाने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा, ‘‘ हमें इसका और देशों में प्रसार करना चाहिए और आयुर्वेद को मान्यता देनी चाहिए।’’
मोदी ने कहा कि आयुष उद्योग आठ साल पहले (2014 में जब उन्होंने पीएम का पद संभाला था) 20,000 करोड़ रुपये का था, जो बढ़कर 1.50 लाख करोड़ रुपये का हो गया है।उन्होंने कहा, “वैश्विक बाजार और बढ़ रहा है तथा हमें औषधीय पौधरोपण से लाभ उठाने की कोशिश करनी चाहिए।” मोदी कहा कि इससे अधिक रोजगार पैदा होंगे।प्रधानमंत्री ने आयुर्वेद के लिए साक्ष्य-आधारित डेटाबेस के निर्माण की आवश्यकता को भी रेखांकित किया, जो आधुनिक विज्ञान के मापदंडों को पूरा करेगा।
उन्होंने कहा, “आधुनिक विज्ञान व उपचार साक्ष्य-आधारित डेटाबेस पर भरोसा करते हैं। आयुर्वेद क्षेत्रों को इस तरह का एक डेटाबेस तैयार करने की आवश्यकता है। केंद्र सरकार के आयुष पोर्टल पर पहले से ही करीब 40,000 शोध अध्ययन अपलोड किए जा चुके हैं।”प्रधानमंत्री ने कहा कि कोविड-19 के दौरान मंत्रालय ने कम से कम 150 विशिष्ट शोध अध्ययन पेश किए।उन्होंने घोषणा की कि देश में जल्द ही एक राष्ट्रीय आयुष अनुसंधान संघ स्थापित किया जाएगा।