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नई शिक्षा नीति को लागू करके शिक्षा के स्तर को और बढ़ाना प्राथमिकताः रावत

गढ़वाल मंडल के सभी विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालयों से आए सभी कुलपति, विभागाध्यक्ष एवं आचार्यगणों को संबोधित करते हुए शिक्षामंत्री धनसिंह रावत ने कहा कि हमें नई शिक्षा नीति को लागू करके शिक्षा के स्तर को और बढ़ाना है।

हरिद्वार, संजय (पंजाब केसरी)ः देवसंस्कृति विश्वविद्यालय में उच्च शिक्षा विभागान्तर्गत राज्य स्तरीय दो दिवसीय नैक प्रत्यायन कार्यक्रम का रविवार को समापन हो गया। समापन कार्यक्रम में उत्तराखंड के उच्च शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत उपस्थित हुए। गढ़वाल मंडल के सभी विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालयों से आए सभी कुलपति, विभागाध्यक्ष एवं आचार्यगणों को संबोधित करते हुए शिक्षामंत्री धनसिंह रावत ने कहा कि हमें नई शिक्षा नीति को लागू करके शिक्षा के स्तर को और बढ़ाना है। छात्रों का बहुमुखी विकास किस तरह हो, इस बात पर हम सभी ध्यान देने आवश्यकता है और यदि ये सब संभव हुआ, तो आने वाले समय में बाकी राज्य शिक्षा को लेकर उत्तराखंड को फॉलो करेंगे।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे देव संस्कृति विश्वविद्यालय के आदरणीय प्रतिकुलपति डा. चिन्मय पंड्या जी ने कहा कि हमें भारत और भारतीयता और अपनी संस्कृति को ध्यान में रखकर आगे बढ़ना होगा।
कार्यशाला के दूसरे दिन मुख्य अतिथि के रूप में उत्तराखंड के उच्च शिक्षामंत्री धनसिंह रावत, शासन अपर सचिव उच्च शिक्षा प्रशांत आर्य, डा. जगदीश प्रसाद निदेशक उच्च शिक्षा मंत्री, देव संस्कृति विश्वविद्यालय के कुलपति शरद पारधी, प्रतिकुलपति डा चिन्मय पण्ड्या एवं कुलसचिव बलदाऊ देवांगन आदि उपस्थित रहे। इस सत्र के दौरान अंतर्राष्ट्रीय अनुबंध, विशेष शिक्षा प्रणाली जैसे महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा हुई। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के साथ किया गया।
इससे पूर्व पहले दिन विशेष कार्यशाला का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलन से हुआ। जिसमें उत्तराखण्ड उच्च शिक्षा विभाग से आईएएस शैलेश बगौली, देव संस्कृति विश्वविद्यालय के कुलपति शरद पारधी, कुलसचिव बलदाऊ देवांगन मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।
उत्तराखण्ड के गढ़वाल के विभिन्न महाविद्यालय एवं विश्वविद्यालयों के संकायाध्यक्ष एवं शिक्षकगणों की उपस्थिति में उच्च शिक्षा में विकासपूर्ण कार्य के बारे में कई महत्वपूर्ण चर्चा हुई।
इस कार्यशाला का प्रमुख उद्देश्य एनएएसी (नैक) के विभिन्न चुनौतियों, समस्याओं के समाधान एवं नए आयामों तक पहुंचने की रणनीति रही। नैक के अंतर्गत 415 उच्च शिक्षा संस्थानों को हो रही गुणवत्ता निमित्त चुनौति, बेस्ट ग्रेडिंग से महाविद्यालयों के बीच प्रतिस्पर्धा, अंतिम उद्देश्य का छात्र-छात्राओं के हित में कार्य, स्वरोजगार के पैमाने, डेटा संग्रहण कर किस तरह से अनेक कार्यों की योजनाओं पर चर्चा हुई। उधर, दूसरी ओर गायत्री तीर्थ शांतिकुंज में भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा से संबद्ध दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का रविवार को समापन हो गया। शांतिकुंज की अधिष्ठात्री शैलदीदी ने प्रतिभागियों को भारतीय संस्कृति से युवाओं को जोड़ने के लिए प्रेरित किया।
संगोष्ठी को आनलाइन संबोधित करते हुए देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति डॉ चिन्मय पण्ड्या ने कहा कि भारतीय संस्कृति में ही आत्मिक व आध्यात्मिक विकास निहित है। स्वामी विवेकानंद ने कहा है कि भारत ही एक ऐसा देश है, जहां प्रत्येक मानवों के विकास के संबंध कार्य होता है। प्रतिकुलपति ने कहा कि बाल्याकाल से ही बच्चों को भारतीय संस्कृति से जोड़ने से उनमें शारीरिक, मानसिक एवं सामाजिक तीनों स्तर पर विकास होगा और इससे उन्हें अवसाद, तनाव, चिंता, निराशा, दुर्भाव आदि समस्याओं से बचाया जा सकता है। दो दिन चले इस संगोष्ठी में कुल बारह सत्र हुए, जिसमें विषय विशेषज्ञों ने भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा से जुड़े शिक्षकों, सक्रिय सदस्यों, जिला एवं प्रांतीय समन्वयकों का मार्गदर्शन किया।

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