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केरल विधानसभा में पास हुआ केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव

माकपा नीत वाम लोकतांत्रिक मोर्चे (एलडीएफ) और कांग्रेस नीत संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चे (यूडीएफ) के सदस्यों ने कृषि कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव का समर्थन किया।

केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन को आज 36वा दिन है, इस बीच केरल विधानसभा में कृषि कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव पास कर दिया गया है। प्रस्ताव में इन तीनों कानूनों को ‘किसान विरोधी’ और ‘उद्योगपतियों के हित’ में बताया गया है। मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने कोविड-19 के नियमों का अनुपालन करते हुए प्रस्ताव किया। 
विधानसभा का यह सत्र प्रदर्शनकारी किसानों के प्रति एकजुटता प्रकट करने के लिए आयोजित किया गया था। माकपा नीत वाम लोकतांत्रिक मोर्चे (एलडीएफ) और कांग्रेस नीत संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चे (यूडीएफ) के सदस्यों ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया। हालांकि, विधानसभा में बीजेपी के एकमात्र सदस्य ओ राजगोपाल ने प्रस्ताव में शामिल कुछ संदर्भों पर आपत्ति दर्ज की लेकिन विरोध नहीं किया। 

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सदन के बाहर राजगोपाल ने कहा, ‘‘सदन में आम सहमति थी, इसलिए मैंने प्रस्ताव पर आपत्ति नहीं जताई। यह लोकतांत्रिक भावना है।’’ प्रस्ताव को पेश करते हुए मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने आरोप लगाया कि केंद्र के कानूनों में संशोधन उद्योगपतियों की मदद के लिए किया गया है। 
उन्होंने, ‘‘इन तीन विवादित कानूनों को संसद की स्थायी समिति को भेजे बिना पारित कराया गया। अगर यह प्रदर्शन जारी रहता है तो एक राज्य के तौर पर केरल को बुरी तरह से प्रभावित करेगा।’’ प्रस्ताव पर करीब दो घंटे की चर्चा के बाद सदन ने इसे ध्वनिमत से पारित कर दिया। विधानसभा अध्यक्ष पी श्रीरामाकृष्ण ने कहा, ‘‘प्रस्ताव का पारित होना किसानों की मांग के प्रति सदन की भावना को प्रतिबिंबित करता है।’’ 

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