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खुशियों की सवारी संचालित न होना, सरकार के मुंह में तमाचा : नेगी

रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि सरकार द्वारा संचालित खुशियों की सवारी, जो कि प्रसूता महिलाओं एवं उनके नवजात शिशुओं को घर पर सुरक्षित ले जाने का कार्य करती थी।

देहरादून : मोर्चा कार्यालय में पत्रकारों से वार्ता करते हुए जनसंघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि सरकार द्वारा संचालित खुशियों की सवारी, जो कि प्रसूता महिलाओं एवं उनके नवजात शिशुओं को घर पर सुरक्षित ले जाने का कार्य करती थी, उस कार्य को अन्जाम देने वाली जीवीके संस्था का कार्यकाल 30 अप्रैल को समाप्त हो गया। उक्त सेवा के माध्यम से 250-300 प्रसूताओं को उनके घर पर सुरक्षित छोड़ा जाता था। 
हैरानी की बात यह है कि उक्त कार्यकाल की समाप्ति से पहले स्वास्थ्य विभाग द्वारा निविदा प्रक्रिया प्रारम्भ कर दी गयी थी, लेकिन कुछ तकनीकी कमियों के चलते निविदा को निरस्त कर दिया गया, जबकि इन तमाम दिक्कतों को पहले ही समझना चाहिए था। नेगी ने कहा कि प्रदेश में उक्त जवीके संस्था और सरकार के बीच एमओयू 1 सितम्बर 2012 से 7 मार्च 2018 तक सम्पादित किया गया था, जिनको बढ़ाकर 30 अप्रैल 2019 तक कर दिया गया था।  
वर्तमान में जो निविदा कैम्प (सीएएमपी) संस्था के पक्ष में स्वीकृत की गयी थी, उसको निदेशक, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने 27 अप्रैल को निरस्त करने के आदेश जारी कर दिये। एक सवाल यहां शंका को जन्म देता है कि जब टेंडर प्रक्रिया पूर्ण हो गयी एवं न्यूनतम दर भी आ गयी तो उसको निरस्त कर सीएमओ के माध्यम से चलाने का क्या औचित्य है।
नेगी ने कहा कि अगर सरकार थोड़ी भी गम्भीर होती तो नये एमओयू तक उसी संस्था (पूर्व में कार्यरत) को सेवा संचालित करने का आदेश देती, लेकिन सरकार के मुखिया  व विभागीय मंत्री की अनुभवहीनता की वजह से उक्त सेवा (खुशियों की सवारी) दम तोड़ती नजर आ रही है। पत्रकार वार्ता में मोर्चा महासचिव आकाश पंवार, विजयराम शर्मा, दिलबाग सिंह, मौ. असद थे। 
– सुनील तलवाड़

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