महाराष्ट्र के औरंगाबाद में शुक्रवार को एक भयानक रेल हादसे की खबर सामने आयी। यहां रेल की पटरी पर लेटे प्रवासी मजदूरों को तेज गति से आ रही मालगाड़ी ने रौंद दिया। इस घटना में 16 मजदूरों की मौत हो गई है जबकि कई अन्य घायल हैं। वहीं अब रेलवे ने औरंगाबाद में हुई इस हादसे की जांच के आदेश दिए हैं। मिली जानकारी के अनुसार इस घटना में पटरियों की गश्त करने वालों की भूमिका की जांच की जाएगी क्योंकि उन्हें लॉकडाउन के दौरान लोगों को पटरियों से दूर रखने की जिम्मेदारी दी गई है।
कोविड-19 का संक्रमण फैलने से रोकने के लिए लागू लॉकडाउन के कारण 20 श्रमिक पैदल ही महाराष्ट्र के जालना से मध्यप्रदेश जा रहे थे। रास्ते में थकान होने पर उनमें से 17 लोग ट्रेन की पटरियों पर आराम करने के लिए लेट गए जबकि तीन अन्य पास के खेत में बैठ गए। इसी दौरान तेज गति से जा रही मालगाड़ी से कट कर उनमें से 16 की मौत हो गई जबकि एक घायल हो गया।
During early hours today after seeing some labourers on track, loco pilot of goods train tried to stop the train but eventually hit them between Badnapur and Karmad stations in Parbhani-Manmad section
Injureds have been taken to Aurangabad Civil Hospital.
Inquiry has been ordered— Ministry of Railways (@RailMinIndia) May 8, 2020
रेल मंत्रालय ने कहा कि ‘‘दक्षिण मध्य सर्किल के रेलवे संरक्षा आयुक्त राम कृपाल आज हुई श्रमिकों की मौत के मामले की स्वतंत्र जांच करेंगे। दक्षिण मध्य रेलवे के नांदेड़ रेलवे डिविजन के परभनी-मनमाड संभाग में श्रमिक मालगाड़ी से कट कर मर गए हैं।’’
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हालांकि रेलवे ऐसी दुर्घटनाओं को ‘रेल दुर्घटना’ की श्रेणी में नहीं रखती है और ट्रेन से कट कर मरने की घटनाओं को ‘‘अनाधिकार प्रवेश’’ का मामला मानती है। लेकिन अतीत में कुछ घटनाएं ऐसी भी हुई हैं जब रेलवे ने मानवीय आधार पर ऐसी दुर्घटनाओं में मरने वालों के परिजन को अनुग्रह राशि दी है।
रेलवे ने 2017 में मुंबई के एल्फिस्टन पुल गिरने के हादसे में मरे 23 लोगों के परिजन को पांच-पांच लाख रुपये, गंभीर रूप से घायल हुए लोगों को एक-एक लाख रुपये जबकि अन्य घायलों को 50-50 हजार रुपये की अनुग्रह राशि दी थी। औरंगाबाद वाले मामले में रेलवे ने अभी तक अनुग्रह राशि की घोषणा नहीं की है।