प्रवासी मजदूरों के मुद्दों पर सियासी घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा है। इस बीच उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घोषणा किया कि जो भी राज्य चाहता है कि प्रदेश के प्रवासी कामगार उनके यहां वापस आएं उन्हें राज्य सरकार से इजाजत लेनी होगी। जिसके बाद यूपी सरकार और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के प्रमुख राज ठाकरे आमने-सामने आ गए हैं।
योगी के इस बयान का पलटवार करते हुए राज ठाकरे ने कहा कि सीएम योगी को यह बात भी ध्यान रखनी होगी कि प्रवासी मजदूरों को अब महाराष्ट्र आने से पहले राज्य सरकार, पुलिस और प्रशासन से इजाजत लेना अनिवार्य होगा। ऐसा ना करने पर किसी भी प्रवासी को महाराष्ट्र में आने की अनुमति नहीं मिलेगी।
वहीं मनसे प्रमुख ने महाराष्ट्र सरकार से अपील करते हुए कहा कि इस मुद्दे पर को गंभीरता से ध्यान देना चाहिए और पुलिस स्टेशन में प्रवासी मजदूरों के रिकॉर्ड बनानी चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रवासी को अपनी डिटेल्स, आईडी प्रूफ आदि थाने में जमा करना होगा। जब यह कार्रवाई पूरी हो जाती है उसके बाद ही किसी मजदूर को महाराष्ट्र में प्रवेश मिलेगी।
प्रवासी मजदूरों को लेकर योगी की की थी यह घोषणा
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को कहा कि जो भी राज्य चाहता है कि प्रदेश के प्रवासी कामगार उनके यहां वापस आएं, उन्हें राज्य सरकार से इसकी इजाजत लेनी होगी और उन कामगारों के सामाजिक, कानूनी और आर्थिक अधिकार सुनिश्चित करने होंगे।
योगी ने इस बात पर दुख जताया कि कोरोना वायरस के कारण लगाए गए लॉकडाउन के दौरान कई राज्यों ने प्रवासी कामगारों का उचित तरीके से ध्यान नहीं रखा। उन्होंने कहा, ‘‘ये कामगार हमारे सबसे बड़े संसाधन हैं और हम उन्हें उत्तर प्रदेश में रोजगार देंगे। राज्य सरकार उन्हें रोजगार मुहैया करवाने के लिए एक आयोग गठित करेगी।’’
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योगी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संबद्ध प्रकाशनों ‘पांचजन्य’ और ‘ऑर्गेनाइजर’ से बातचीत में कहा, ‘‘वे हमारे लोग हैं…अगर कुछ राज्य उन्हें वापस बुलाना चाहते हैं तो उन्हें राज्य सरकार से इजाजत लेनी होगी।’’ उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश पहुंचे प्रवासी कामगारों से मिली प्रतिक्रिया से यह समझ में आया कि सबसे ज्यादा ध्यान और महत्व उनके अधिकारों की रक्षा पर देने की जरूरत है। उन्होंने यह भी कहा कि सभी प्रवासी कामगारों का पंजीयन किया जा रहा है और उनके कौशल का लेखा-जोखा रखा जा रहा है।
आयोग के बारे में उन्होंने कहा कि प्रवासी कामगारों के अधिकारों से जुड़े कई कारकों को देखने के लिए यह प्रस्तावित है। उनका शोषण रोकना और उन्हें सामाजिक, आर्थिक तथा कानूनी मदद मुहैया करवाने के लिए आधिकारिक रूपरेखा प्रदान करना इसका काम होगा। उन्होंने कहा, ‘‘बीमा, सामाजिक सुरक्षा, पुन: रोजगार सहायता, बेरोजगारी भत्ते का प्रावधान आदि पर आयोग विचार करेगा।’’