अर्द्धनग्न शरीर पर पेंटिंग करवाने के मामले में रेहाना फातिमा की अग्रिम जमानत याचिका खारिज - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

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अर्द्धनग्न शरीर पर पेंटिंग करवाने के मामले में रेहाना फातिमा की अग्रिम जमानत याचिका खारिज

अधिवक्ता शंकरनारायणन ने कहा कि इस देश में यदि एक पुरुष अर्द्धनग्न अवस्था में हो तो कोई बात नहीं होती है लेकिन अगर महिला ऐसा करती है तो देखिए यह सब होता है।

सुप्रीम कोर्ट ने नाबालिग बच्चों से अपने अर्द्धनग्न शरीर पर पेंटिंग करवाने के मामले में रेहाना फातिमा की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि अपने समक्ष आए इस तरह के मामले को देखकर कोर्ट थोड़ी हैरान है।
कोर्ट ने कहा कि इस तरह के वीडियो के जरिए देश की संस्कृति के बारे में बच्चों के सामने किस तरह की छवि बनेगी। न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा, न्यायमूर्ति बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की पीठ ने कहा कि इस तरह की बात सोची भी नहीं जा सकती और इससे समाज पर बुरा प्रभाव पड़ेगा। 
याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने कहा कि यह हैरानी की बात है कि बच्चों की अश्लील तस्वीरों (चाइल्ड पोर्नोग्राफी) के आरोप लगाए गए हैं। उन्होंने कि एक महिला, जो कि एक मां है, उसने अपने बच्चों से अपने अर्द्धनग्न शरीर पर पेंट करने को कहा। 
पीठ ने कहा, ‘‘ये किस तरह के मामले आ रहे हैं? हमारे लिए हैरानी की बात है।’’ उसने कहा कि महिला भले ही कार्यकर्ता हों लेकिन इस तरह की बात तो सोची भी नहीं जा सकती। शंकरनारायणन ने कहा कि इस देश में यदि एक पुरुष अर्द्धनग्न अवस्था में हो तो कोई बात नहीं होती है लेकिन अगर महिला ऐसा करती है तो देखिए यह सब होता है। 
उन्होंने कहा कि मामले में तलाश एवं बरामदगी हो चुकी है और बयान दर्ज किए जा चुके हैं। उन्होंने कहा कि इस मामले में हिरासत में लेकर पूछताछ करने की क्या आवश्यकता है। इस पर कोर्ट ने कहा कि इससे समाज पर बुरा प्रभाव पड़ेगा और हाई कोर्ट  इस बारे में हर चीज पर विस्तार से विचार कर चुका है। कोर्ट ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता ने अपने शरीर पर पेंट करने के लिए बच्चे का इस्तेमाल किया।
इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने अग्रिम जमानत की याचिका खारिज कर दी। इससे पहले 24 जुलाई को केरल हाई कोर्ट ने फातिमा की अग्रिम जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा था कि वह याचिकाकर्ता की इस दलील से सहमत नहीं है कि उसे इस तरीके से अपने बच्चों को यौन शिक्षा देनी चाहिए।
इस वीडियो को तर्कसंगत ठहराते हुए कार्यकर्ता ने अपनी जमानत याचिका में कहा था कि जहां तक बच्चों का सवाल है तो उन्हें यौन शिक्षा देने की जरूरत है और शरीर तथा उसके अंगों से पहचान कराने की आवश्यकता है ताकि वे इसे अलग तरीके से देख सकें।
हाई कोर्ट ने कहा था कि याचिकाकर्ता को अपने सिद्धांत के अनुसार अपने बच्चों को पढ़ाने की आजादी मिली है लेकिन यह उनके घर की चारदीवारी के भीतर होना चाहिए और तब यह कानून द्वारा प्रतिबंधित नहीं होना चाहिए। फातिमा के खिलाफ आरोप है कि उन्होंने अपने बच्चों-14 साल के बेटे और आठ साल की बेटी से अपने अर्द्धनग्न शरीर पर पेंट करने के लिए कहा। 
वीडियो में वह अर्द्धनग्न अवस्था में लेटी हैं और उनके दोनों बच्चे उनके शरीर पर पेंट कर रहे हैं। याचिकाकर्ता ने यह वीडियो बनाई थी और इसे सोशल मीडिया पर पोस्ट किया था। इस वीडियो को देखने के बाद कोच्चि पुलिस के साइबर डोम ने जून में फातिमा के खिलाफ मामला दर्ज किया था। 
उस पर बाल यौन अपराध संरक्षण कानून, 2012 (पॉक्सो कानून), सूचना प्रौद्योगिकी कानून, 2000 और किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) कानून, 2015 की विभिन्न धाराओं के तहत दंडनीय अपराधों का आरोप लगाया गया। केरल राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने भी महिला के खिलाफ पॉक्सो कानून की विभिन्न धाराओं में पुलिस को मामला दर्ज करने का निर्देश दिया था। 
फातिमा उस समय भी सुर्खियों में आयी थीं जब सुप्रीम कोर्ट द्वारा सितंबर 2018 में सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 वर्ष की आयु वाली महिलाओं के प्रवेश को अनुमति दिए जाने के बाद उन्होंने मंदिर में प्रवेश की कोशिश की थी लेकिन हिंदू कार्यकर्ताओं और श्रद्धालुओं के विरोध के कारण वह ऐसा नहीं कर पाईं।

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