जाने माने इतिहासकार और पद्म विभूषण पुरस्कार से सम्मानित बलवंत मोरेश्वर पुरंदरे का सोमवार को पुणे के एक अस्पताल में निधन हो गया। वह 99 वर्ष के थे।बाबासाहेब पुरंदरे के नाम से लोकप्रिय इतिहासकार कुछ समय से बीमार थे। एक चिकित्सक ने उनके निधन की जानकारी दी।
पुरंदरे निमोनिया से पीड़ित थे
चिकित्सक ने बताया कि पुरंदरे निमोनिया से पीड़ित थे और उन्हें तीन दिन पहले शहर के दीनानाथ मंगेशकर अस्पताल में भर्ती कराया गया था। रविवार को उनकी तबियत खराब हो जाने के बाद से वह अस्पताल की गहन चिकित्सा इकाई में वेंटिलेटर पर थे और उनकी स्थिति तभी से गंभीर थी। पुरंदरे की अधिकतर कृतियां मराठा योद्धा छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन से संबंधित हैं।
पीएम मोदी ने जताया दुख
बलवंत मोरेश्वर पुरंदरे के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुख जताया। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि शिवशहर बाबासाहेब पुरंदरे अपने व्यापक कार्यों के कारण जीवित रहेंगे। इस दुख की घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और अनगिनत प्रशंसकों के साथ हैं। शांति।
Shivshahir Babasaheb Purandare will live on due to his extensive works. In this sad hour, my thoughts are with his family and countless admirers. Om Shanti.
— Narendra Modi (@narendramodi) November 15, 2021
सुबह पांच बजे के करीब अंतिम सांस ली
अस्पताल की ओर से जारी एक बयान में बताया गया कि पुरंदरे ने सोमवार सुबह पांच बजे के करीब अंतिम सांस ली।उपनाम शिवशाहीर के नाम से विख्यात पुरंदरे ने छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन पर केंद्रित कई पुस्तकें लिखीं। दो भागों में लिखी गई 900 पृष्ठों की उनकी मराठी पुस्तक ‘राजा शिवछत्रपती’ पहली बार 1950 के दशक के अंत में प्रकाशित हुई थी और यह तब ये कई बार प्रकाशित हो चुकी है। पुरंदरे ने 1980 के दशक के मध्य में ‘जाणता राजा’ शीर्षक के साथ शिवाजी महाराज के जीवन पर केंद्रित नाटक लिखा और उसका निर्देशन किया।
‘बाबासाहेब का कार्य प्रेरणा है-PM
इस साल की शुरुआत में पुरंदरे के जन्मदिन पर कई नेताओं ने उन्हें बधाई दी थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक वीडियो संदेश से माध्यम पुरंदरे को बधाई देते हुए कहा था, ‘‘बाबासाहेब का कार्य प्रेरणा है। मैं छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन पर आधारित बाबासाहेब का नाटक ‘जाणता राजा’ देखने के लिए पुणे गया था। बाबासाहेब जब अहमदाबाद जाते थे, मैं उनके कार्यक्रम में पहुंचा करता था।’’29 जुलाई, 1922 को जन्मे पुरंदरे को 2019 में भारत के दूसरे सबसे बड़े नागरिक पुरस्कार पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था। उन्हें 2015 में महाराष्ट्र भूषण पुरस्कार दिया गया था।