कर्नाटक विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस पार्टी में दरार पड़ गई है। इसका मतलब यह है कि इस बात की संभावना है कि पार्टी चुनाव में कोई भी सीट नहीं जीत पाएगी। कांग्रेस पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक से पहले पार्टी के वरिष्ठ नेता और कर्नाटक प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला ने प्रदेश पार्टी इकाई में किसी तरह की दरार की खबरों का खंडन किया। लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही कहानी बयां करती है। कुछ दिन पहले एक राष्ट्रीय समाचार चैनल को दिए एक साक्षात्कार में सिद्धारमैया ने राज्य में 10 मई को विधानसभा चुनाव जीतने पर मुख्यमंत्री बनने की अपनी आकांक्षाओं को स्पष्ट कर दिया था। कर्नाटक कांग्रेस के अध्यक्ष रहे डीके शिवकुमार भी पार्टी में अपने समर्थकों के जरिए मुख्यमंत्री बनने की मंशा जाहिर करते रहे हैं। वास्तव में इस मामले में राहुल गांधी को हस्तक्षेप करना पड़ और दोनों नेताओं के बीच एक समझौता करना पड़, लेकिन उन्होंने विधानसभा चुनाव से पहले प्रतिष्ठित सीट के लिए दावा करना शुरू कर दिया। यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि दोनों नेता मुख्यमंत्री पद के लिए दावेदारी प्रस्तुत करने के लिए अधिक से अधिक संख्या में पार्टी विधायकों का समर्थन प्राप्त करने के लिए गुप्त रूप से काम कर रहे हैं।
उम्मीदवारों की पसंद का विरोध कर रहे हैं
इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि सिद्धारमैया ने अपने को नेता नामांकित करने और इसे आलाकमान की मंजूरी के लिए आगे बढ़ने में राज्य विधायक दल की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया। इसके अलावा टिकट वितरण के मामले में सिद्धारमैया और शिवकुमार के बीच भी मतभेद सामने आ रहे हैं क्योंकि वे चुनाव लड़ने के लिए एक-दूसरे के उम्मीदवारों की पसंद का विरोध कर रहे हैं और यह वजह दूसरी सूची जारी करने के लिए एक बाधा बन रही थी।
न केवल इन दोनों नेताओं ने, बल्कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी अपनी पसंद के उम्मीदवारों की सिफारिश करने के लिए अपने पत्तें फेंक दिये है। अगर कर्नाटक कांग्रेस को भाजपा से सत्ता छीननी है तो उसे सिद्धारमैया और शिवकुमार की फूट वाली गतिविधियों से दूर रहना होगा, अन्यथा इससे उसकी चुनावी संभावनाओं को नुकसान होगा।
पार्टी में पूरी तरह से एकमत है
शुरुआत में ही, कांग्रेस ने यह समझाने की बहुत कोशिश की कि नेताओं के बीच एकमत है। सुरजेवाला ने कहा: ‘‘हमने स्क्रीनिंग कमेटी के साथ-साथ सीईसी की बैठकें की हैं, और हम सर्वसम्मति से 124 उम्मीदवारों की घोषणा करने वाले पहले दल है। अब भी, पार्टी में पूरी तरह से एकमत है। ..’’ सिद्धारमैया ने यह भी स्पष्ट किया कि एक प्रतिष्ठित दैनिक में एक रिपोर्ट में उन्हें यह कहते हुए गलत उद्धृत किया गया था कि उन्होंने कहीं भी यह नहीं कहा कि पार्टी आलाकमान शिवकुमार, एमबी पाटिल या किसी कांग्रेस नेता से नाखुश है। शिवकुमार ने भी कहा कि पार्टी एकजुट है और सिद्धारमैया और उनके बीच कोई मतभेद नहीं है।