जल कार्यकर्ता राजेंद्र सिंह का कहना है कि मध्य प्रदेश पानी संकट को लेकर राजस्थान की दिशा में बढ़ रहा है, लेकिन यहां बन रहा पानी का अधिकार कानून इसे राजस्थान बनने से रोकने में मददगार होगा।
राज्य सरकार द्वारा ‘पानी का अधिकार कानून’ बनाए जाने के लिए शुरू की गई कवायद के तहत यहां सोमवार को आयोजित कार्यशाला में हिस्सा लेने आए राजेंद्र सिंह ने कहा, “इस समय देश और दुनिया में सबसे बड़ी इंसानी जरूरत पानी है, क्योंकि खाने के बगैर तो इंसान रह सकता है, मगर पानी के बगैर उसका जीवन मुश्किल है। लोगों ने पानी का दोहन तो करना सीख लिया, मगर लोग संरक्षण और संवर्धन के लिए कुछ भी करने को तैयार नहीं है।”
सिंह ने कहा, “मध्य प्रदेश पानी संकट के मामले में राजस्थान की ओर बढ़ रहा है। राज्य को राजस्थान बनने से रोकने के लिए पानी का संरक्षण और संवर्धन जरूरी है। यह पानी का अधिकार कानून के जरिए संभव है। इसके साथ ही खाली होती पहाड़ियों को हरा-भरा बनाना होगा, पानी की बर्बादी को रोकना होगा, वर्षा जल को रोकने के प्रयास जरूरी हैं।”
सिंह ने आगे कहा, “मध्य प्रदेश की सरकार ने पानी का अधिकार कानून बनाने की पहल की है। यह सकारात्मक पहल है, जो सिर्फ मध्य प्रदेश ही नहीं, देश को नया रास्ता दिखाने वाली होगी। देश में नल-जल योजना के लिए लाखों करोड़ का बजट है, मगर इस दिशा में कोई सोचने को तैयार नहीं है। जब पानी ही नहीं होगा तो नल-जल योजना का क्या होगा। नल में क्या आएगा।”
राज्य के बुंदेलखंड के अलावा कई और हिस्सों में लगभग साल भर पानी का संकट रहता है। उसका निदान कैसे हो। इस सवाल पर सिंह ने कहा,”राज्य सरकार को पानी का अधिकार बनाने से पहले उन सभी हिस्सों के लिए पानी सुरक्षा के प्रयास करने चाहिए। जब पानी की सुरक्षा होगी, तभी तो पानी के अधिकार का लोगों को लाभ मिल सकेगा।”
एक सवाल के जवाब में राजेंद्र ने कहा, “यह कानून समाज और सरकार को अपनी जिम्मेदारी और हकदारी का अहसास कराए, जब जिम्मेदारी और हकदारी साथ साथ चलती है तो समाज अपने पैरों पर खड़ा होता है। पानी का अधिकार कानून के लिए जो चिंतन शुरू हुआ है, उससे समाज और राज दोनों ही समान रूप से जिम्मेदार होंगे।”
राज्य में प्रस्तावित पानी के अधिकार का कानून कैसा होना चाहिए? सिंह ने कहा,”यह कानून पूरी तरह जनता का कानून होना चाहिए। इसके साथ ही ठेकेदारी प्रथा के प्रभाव से मुक्त होकर समाज की भागीदारी वाला होना चाहिए। यह ऐसा कानून हो, जिसे मध्य प्रदेश की जनता अपना कानून माने, इसमें ठेकेदारों के लिए किसी तरह के रास्ते न खुलते हों, क्योंकि ठेकेदार अपना लाभ पाने के लिए भ्रष्टाचार का रास्ता खोजता है।”
जल पुरुष के नाम से लोकप्रिय राजेंद्र ने भारतीय संस्कृति का जिक्र किया और कहा,”हमारी परंपरा लाभ और शुभ को साथ-साथ लेकर चलने की है। यह जो कानून है, वह समाज को शुभ की ओर ले जाएगा। इस कानून में मध्य प्रदेश के शुभ का चिंतन होगा। प्रदेश को पानीदार बनाने के लिए इस कानून की सख्त जरूरत है।”
पानी के काम के लिए मैगसेसे और स्टाकहोम वाटर प्राइज प्राप्त कर चुके राजेंद्र ने आगे कहा, “हमारे जीवन में जटिलता बढ़ गई है, इसलिए हमें सरकार और कानून की ज्यादा जरूरत होती है। वर्तमान में जो जटिलताएं बढ़ी हैं, उसे कम करने के लिए समाज आधारित व्यवस्था को अपनाना होगा। विकेंद्रीकृत जल प्रबंधन व्यवस्था को अपनाना होगा। ऐसा होने पर धरती का जल भंडार तो बढ़ेगा ही, आम इंसान को पानी के लिए परेशान नहीं होना होगा।”