चीन के वुहान में शुरू हुए कोरोना वायरस (कोविड-19) ने अब तक 5000 से अधिक लोगों की जान ले चुकी हैं। दुनिया के लिए महामारी बना कोरोना वायरस सोमवार को मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार के लिए संकट मोचक बनकर सामने आया। अब विपक्ष ने यह कहना शुरू कर दिया है कि दुनिया में यह अपनी तरह का पहला मामला है, जब एक वायरस ने किसी सरकार को गिरने से बचा लिया।
मध्य प्रदेश के विधानसभा अध्यक्ष एन.पी. प्रजापति ने सोमवार को कोरोना को ढाल बनाते हुए 26 मार्च तक के लिए विधानसभा स्थगित कर दिया। इसी के साथ कमलनाथ सरकार पर छाए संकट के बादल 10 दिन टल गए। विधानसभा अध्यक्ष ने भी अपने फैसले के पीछे कोरोना वायरस से फैल रहे संक्रमण का हवाला दिया। वहीं राज्य के कृषि मंत्री सचिन यादव ने कहा कि केंद्र सरकार ने खुद कोरोना वायरस के मद्देनजर एडवाइजरी जारी की है, जिसके कारण राज्य सरकार भी अलर्ट है।
उन्होंने कहा कि यही वजह है कि विधानसभा को 26 मार्च तक के लिए स्थगित किया गया है। मध्य प्रदेश में 19 से अधिक कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे के कारण कमलनाथ सरकार के अल्पमत में होने की बात कही जा रही है। राज्यपाल भी सरकार को अल्पमत में मानकर शक्ति परीक्षण की चुनौती का सामना करने के लिए कह चुके हैं। सोमवार को शुरू हुए बजट सत्र के दौरान विधानसभा अध्यक्ष ने राज्यपाल के निर्देशों के विपरीत फ्लोर टेस्ट नहीं कराया।
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सूत्रों का कहना है कि अगर फ्लोर टेस्ट होता तो कमलनाथ सरकार का गिरना तय था। मगर सरकार के रणनीतिकारों ने कोरोनावायरस को ही ढाल बना लिया। नतीजा निकला कि सोमवार को राज्यपाल का अभिभाषण खत्म होने के बाद विधानसभा अध्यक्ष ने कोरोना वायरस के संक्रमण की बात कहते हुए 26 मार्च तक के लिए विधानसभा की कार्यवाही स्थगित कर दी। वहीं भाजपा ने अब सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है, और सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को इस मामले पर सुनवाई के लिए सहमत हो गया है।