देश को आजाद हुए 74 वर्ष से अधिक हो गए है, लेकिन देश की राजनीति अभी तक अंग्रेजों से आजाद नहीं हुई है। तो वहीं अब देश के महान स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर को लेकर बहस छिड़ गई है। शिवसेना सांसद संजय राउत ने बुधवार को कहा कि वीर सावरकर ने कभी भी अंग्रेजों से माफी नहीं मांगी। इससे एक दिन पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दावा किया था कि स्वतंत्रता सेनानी सावरकर ने महात्मा गांधी के अनुरोध पर अंग्रेजों को दया याचिका लिखी थी।
यदि सावरकर ने ऐसी रणनीति अपनाई थी, तो इसे माफी मांगना नहीं कह सकते
पुणे में पत्रकारों से बात करते हुए राउत ने कहा कि दस साल से अधिक समय तक जेल में रहने वाले स्वतंत्रता सेनानी यह सोचकर अपनी रणनीति बनाते थे कि जेल में रहने के बजाय वे बाहर निकलकर कुछ कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि जेल में सजा काटने के दौरान एक अलग रणनीति अपनाई जाती है। राउत ने कहा, ”यदि सावरकर ने ऐसी रणनीति अपनाई थी, तो इसे माफी मांगना नहीं कह सकते। हो सकता है कि सावरकर ने ऐसी रणनीति अपनाई हो। सावरकर ने अंग्रेजों से कभी माफी नहीं मांगी।”
सावरकर को मिले भारत रत्न, राजनाथ को नहीं है जानकारी
राउत कई मौकों पर वी डी सावरकर को भारत रत्न से सम्मानित करने की मांग कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि हिंदुत्व के सिरमौर सावरकर हमेशा से उनकी पार्टी के लिये आदर्श रहे हैं। सावरकर को लेकर राजनाथ सिंह के बयान के बारे में पूछे जाने पर राउत ने कहा कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं है।
राजनाथ सिंह ने ये कहा-
राजनाथ सिंह ने मंगलवार को वीर सावरकर को एक कट्टर राष्ट्रवादी और 20वीं सदी में भारत का पहला सैन्य रणनीतिकार बताते हुए कहा था उन्होंने महात्मा गांधी के अनुरोध पर अंग्रेजों को दया याचिकाएं लिखीं और मार्क्सवादी और लेनिनवादी विचारधारा के लोगों ने उन पर फासीवादी होने का गलत आरोप लगाया।
राजनाथ सिंह ने कहा, ‘‘एक खास विचारधारा से प्रभावित तबका वीर सावरकर के जीवन एवं विचारधारा से अपरिचित है और उन्हें इसकी सही समझ नहीं है, वे सवाल उठाते रहे हैं।’’ उन्होंने कहा कि हमारे राष्ट्र नायकों के व्यक्तित्व एवं कृतित्व के बारे में वाद प्रतिवाद हो सकते हैं लेकिन उन्हें हेय दृष्टि से देखना किसी भी तरह से उचित और न्यायसंगत नहीं कहा जा सकता है।