साल 2018 को पुणे के भीमा कोरेगांव में हुई हिंसा मामले में शुक्रवार को सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने गौतम नवलखा और आनंद तेलतुम्बडे राहत देते हुए उनकी गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण की अवधि 16 मार्च तक के लिए बढ़ा दी है।
न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा और न्यायमूर्ति इन्दिरा बनर्जी की पीठ ने कहा कि बंबई हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ उनकी अपील पर 16 मार्च को सुनवाई की जाएगी। हाई कोर्ट ने 14 फरवरी को दोनों की अग्रिम जमानत याचिकाएं खारिज कर दी थी। हाई कोर्ट ने अग्रिम जमानत की याचिका खारिज करते हुए उन्हें गिरफ्तारी से प्राप्त अंतरिम संरक्षण की अवधि चार सप्ताह के लिए बढ़ा दी थी ताकि वे सुप्रीम कोर्ट जा सकें।
गौतम नवलखा और आनंद तेलतुम्बडे की ओर से कपिल सिब्बल और अभिषेक सिघंवी ने पीठ को सूचित किया कि हाई कोर्ट द्वारा दी गयी अंतरिम संरक्षण की अवधि 14 मार्च को खत्म हो रही है, इसलिए सुप्रीम कोर्ट को यह अवधि बढ़ानी चाहिए। हाई कोर्ट ने दोनों कार्यकर्ताओं की याचिका खारिज करते हुए कहा था कि इस मामले में पेश साक्ष्य पहली नजर में दोनों आरोपियों की भूमिका दर्शाते हैं।
कोर्ट ने आरोपियों के बीच हुए कथित पत्राचार के अवलोकन के बाद इस तथ्य का संज्ञान लिया कि नवलखा, तेलतुम्बडे और सुरेन्द्र गाडलिंग, रोना विल्सन और सुधा भारद्वाज जैसे अन्य आरोपी व्यक्तियों के बीच सीधी पहुंच थी और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) की केन्द्रीय समिति के सदस्यों के साथ संपर्क था।
नवलखा, तेलतुम्बडे और कई अन्य कार्यकर्ताओं के खिलाफ पुणे पुलिस ने माओवादियों के साथ उनके कथित संपर्को और एक जनवरी, 2018 को पुणे के कोरेगांव भीमा गांव में हुई हिंसा की घटना को लेकर मामला दर्ज किया था।