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जातिवादी टिप्पणी पर TV एक्ट्रेस मुनमुन दत्ता को SC की फटकार, आपराधिक कार्यवाही पर लगी रोक

सुप्रीम कोर्ट ने मामले में सुनवाई करते हुए एक्ट्रेस मुनमुन दत्ता से कहा, “आपने जो कहा, वह एक पूरे समुदाय को बदनाम करने के लिए हो सकता है।”

जातिवादी टिप्पणी मामले में एक्ट्रेस मुनमुन दत्ता को सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाते हुए उनके खिलाफ दर्ज सभी मामलों पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने मामले में शुक्रवार को सुनवाई करते हुए एक्ट्रेस से कहा, ”आपने जो कहा, वह एक पूरे समुदाय को बदनाम करने के लिए हो सकता है।” एक्ट्रेस मुनमुन दत्ता टीवी के मशहूर सीरियल “तारक मेहता का उल्टा चश्मा” का हिस्सा हैं।
न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति वी. रामसुब्रमण्यम की पीठ ने कहा, ” आप कह रही हैं कि आप एक महिला हैं, लेकिन हमें बताइए कि क्या महिलाओं के पास पुरुषों की तुलना में बेहतर अधिकार हैं या उन्हें भी समान अधिकार हैं?” दत्ता का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता पुनीत बाली ने दलील दी कि पिछले महीने एक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पोस्ट किए गए वीडियो में, दत्ता ने जानबूझकर ‘भंगी’ शब्द का इस्तेमाल नहीं किया था और इस शब्द का इस्तेमाल पश्चिम बंगाल में उन लोगों के लिए किया गया था, जिन्होंने नशा किया था। पीठ ने जवाब दिया कि यह सच नहीं है। 
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, हो सकता है आपको मालून न हो, मगर हर कोई अर्थ जानता है। बांग्ला में ऐसा ही समान शब्द का प्रयोग किया जाता है। वह कोलकाता में थीं, जब उन्होंने यह कहा। बाली ने स्वीकार किया कि उनके मुवक्किल ने गलती की है और वीडियो पोस्ट करने के दो घंटे के भीतर ही उन्होंने अपना ट्विटर पोस्ट हटा दिया था। बाली ने इससे संबंधित सभी मामलों को मुंबई स्थानांतरित करने का आग्रह भी किया।
सुप्रीम कोर्ट ने मुनमुन दत्ता के वकील को सुनने के बाद राज्य सरकारों और शिकायत करने वालों को नोटिस जारी किया कि दिल्ली, मध्य प्रदेश, गुजरात और हरियाणा में दर्ज एफआईआर को क्लब यानी एक साथ किया जाना चाहिए। दरअसल, एक्ट्रेस की ओर से पोस्ट किए एक यूट्यूब वीडियो ने आक्रोश पैदा कर दिया था, जिसके कारण एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी। 
बाद में, दत्ता ने माफी मांगी और वीडियो के आपत्तिजनक हिस्से को हटा दिया। उन्होंने इस मामले में सफाई देते हुए कहा था कि उन्होंने भाषा की बाधा के कारण इस शब्द का इस्तेमाल किया। बाली ने पीठ के समक्ष दलील दी कि याचिकाकर्ता एक महिला है और उसके खिलाफ पांच एफआईआर दर्ज की गई हैं। हालांकि, अंत में सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका की जांच करने के लिए सहमति व्यक्त की और एफआईआर में कार्यवाही पर रोक लगा दी।
सुप्रीम कोर्ट ने दलित अधिकार कार्यकर्ता और वकील को भी नोटिस जारी किया, जिन्होंने 13 मई को हरियाणा के हिसार में अभिनेत्री के खिलाफ पहली एफआईआर दर्ज की थी। समुदाय को कथित रूप से अपमानित करने के लिए अनुसूचित जाति और जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी।

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