मद्रास उच्च न्यायालय परिसर में जुलूस और तीन सेवानिवृत्त न्यायाधीशों के शामिल होने पर गंभीर - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

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मद्रास उच्च न्यायालय परिसर में जुलूस और तीन सेवानिवृत्त न्यायाधीशों के शामिल होने पर गंभीर

संविधान बचाने का आह्वान किये जाने और संविधान की प्रस्तावना पढ़े जाने के बीच जुलूस का आयोजन गुरुवार को अधिवक्ताओं के एक समूह ने किया था।

मद्रास उच्च न्यायालय परिसर में ‘‘संविधान की रक्षा’’ के आह्वान को लेकर हुए एक ‘मौन’ जुलूस निकाला गया जिसमें तीन सेवानिवृत्त न्यायाधीश भी शामिल हुए जबकि ऐसी किसी गतिविधि पर रोक के आदेश थे। अदालत ने शुक्रवार को इस पर गंभीर रुख अपनाया और इस मामले को अपनी सुरक्षा कमेटी को सौंप दिया।
मुख्य न्यायाधीश ए पी साही और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद वाली प्रथम पीठ ने घटना को ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ करार दिया और कहा कि तीन पूर्व न्यायाधीशों के ‘प्रदर्शन’ में शामिल होने से अधिक चिंता उत्पन्न हुई। पीठ ने सुरक्षा कमेटी से अनुरोध किया कि वह मामले को तत्काल आधार पर ले और अपने सुझाव दे। संशोधित नागरिकता कानून को लेकर हाल के दिनों में देशभर में विभिन्न स्थानों पर आंदोलनकारियों द्वारा संविधान बचाने का आह्वान किये जाने और संविधान की प्रस्तावना पढ़े जाने के बीच जुलूस का आयोजन गुरुवार को अधिवक्ताओं के एक समूह ने किया था।
टेलीविजन चैनलों द्वारा प्रसारित इसके वीडियो में दिखाया गया कि मौन जुलूस में शामिल अधिवक्ताओं ने तख्तियां ले रखी थीं जिन पर ‘‘संविधान की रक्षा, समानता’’ और संविधान की प्रस्तावना लिखी हुई थी। पीठ ने पुलिस उपायुक्त, उच्च न्यायालय सुरक्षा के एक पत्र के आधार पर मामले पर स्वत: संज्ञान लिया। पुलिस उपायुक्त ने उक्त पत्र रजिस्ट्रार जनरल को लिखा था जिसमें उन्होंने लिखा था कि जुलूस अधिवक्ताओं के एक समूह द्वारा निकाला गया। मौन जुलूस का आयोजन गांधीजी की पुण्यतिथि के दिन किया गया था।
उच्च न्यायालय ने पूर्व में कई आदेश पारित करके अदालत परिसर में किसी तरह की बैठक और जुलूस पर रोक लगायी थी। पत्र में तीन सेवानिवृत्त न्यायाधीशों..डी हरिप्रणाथमन, कन्नन और अकबर अली का उल्लेख है। इसके अलावा इसमें अन्य अधिवक्ताओं का भी उल्लेख है।
पीठ ने मामले की अगली सुनवायी की तिथि तीन मार्च तय की। इस बीच वरिष्ठ अधिवक्ताओं एन जी आर प्रसाद और नलिनी चिदंबरम सहित अधिवक्ताओं के एक समूह ने एक बयान में कहा कि उन्होंने राष्ट्रपिता की याद में एक ‘‘शांतिपूर्ण पदयात्रा’’ निकाली थी जिसे पुलिस ने उनकी और सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की‘‘एक अनधिकृत’’ गतिविधि करार दिया।

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