देहरादून : संवासिनी से दुष्कर्म और फिर गर्भपात कराने के मामले मेंं एडीजे षष्ठम की अदालत ने नारी निकेतन की तत्कालीन अधीक्षिका समेत नौ दोषियों की सजा का एलान कर दिया है। दोषी गुरुदास को सात साल और 30 हजार जुर्माना, हासिम और ललित बिष्ट को पांच-पांच साल और 10-10 हजार जुर्माना, शमा निगार, चंद्रकला, किरण और अनीता मैंदोला को चार-चार साल और 10-10 हजार जुर्माना के साथ ही नारी निकेतन की तत्कालीन अधीक्षिका मीनाक्षी पोखरियाल और कृष्णकांत को दो-दो साल के साथ ही पांच-पांच हजार जुर्माने की सजा सुनाई है।
दरअसल, नारी निकेतन में रखी गई मूक बधिर संवासिनी से दुष्कर्म का मामला सामने आया था। ये वारदात अक्टूबर 2015 की है, जब सफाई कर्मी गुरुदास, होमगार्ड ललित बिष्ट और केयर टेकर हाशिम ने अलग दिनों में दुष्कर्म किया था। नवंबर 2015 में संवासिनी के साथ हुए यौन शोषण का खुलासा हुआ, तो प्रशासनिक अमले से लेकर सरकार तक में हड़कंप मच गया।
इसे लेकर नारी निकेतन के सामने काफी हंगामा हुआ और विपक्षी दलों के साथ ही अन्य संगठनों ने सरकार की नाक में दम कर दिया। तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने 24 नवंबर 2015 को इस मामले की विस्तृत जांच के लिए तत्कालीन एसपी सिटी अजय सिंह की अगुवाई में एसआइटी गठित की।
संवासिनी का गर्भपात कराया और भ्रूण को जंगल में दबा दिया
गुरदास पर आरोप था कि उसने संवासिनी से दुष्कर्म किया, जिसके बाद वह गर्भवती हो गई थी। जबकि, होमगार्ड ललित बिष्ट और केयर टेकर हाशिम ने भी संवासिनी से दुष्कर्म का प्रयास किया था। इस बात का कहीं पता न चले इसके लिए बाकी सभी ने आपराधिक षडयंत्र रचते हुए संवासिनी का गर्भपात कराया और भ्रूण को जंगल में दबा दिया। एसआईटी ने दुधली के जंगल से भ्रूण भी बरामद कर लिया था।
इसका डीएनए मिलान गुरदास के साथ हुआ, जिससे केस को और मजबूती मिल गई। शासकीय अधिवक्ता संजीव सिसौदिया ने बताया कि अभियोजन की ओर से इस मुकदमे में कुल 23 गवाह पेश किए गए। जबकि, न्यायालय ने डीएनए रिपोर्ट को महत्वपूर्ण तथ्य माना और सभी पहलुओं पर गौर करते हुए सभी नौ आरोपियों को दोषी करार दे दिया।