शक्ति मिल्स गैंगरेप : बॉम्बे HC ने उम्र कैद में बदली तीनों आरोपियों की मौत की सजा - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

शक्ति मिल्स गैंगरेप : बॉम्बे HC ने उम्र कैद में बदली तीनों आरोपियों की मौत की सजा

बॉम्बे हाई कोर्ट ने साल 2013 में मुंबई में हुए शक्ति मिल गैंगरेप केस में आरोपियों को दी गई फांसी की सजा में बदलाव करते हुए उम्र कैद में तब्दील कर दिया है।

बॉम्बे हाई कोर्ट ने साल 2013 में मुंबई में हुए शक्ति मिल गैंगरेप केस में आरोपियों की सजा पर अंतिम फैसला सुना दिया है। हाईकोर्ट ने तीनों आरोपियों को दी गई फांसी की सजा में बदलाव करते हुए उम्र कैद में तब्दील कर दिया है। कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि  वे ‘‘उनके द्वारा किए गए अपराधों का पश्चाताप करने के लिए आजीवन कारावास की सजा के लायक हैं।’’
न्यायमूर्ति साधना जाधव और न्यायमूर्ति पृथ्वीराज चव्हाण की खंडपीठ ने विजय जाधव, मोहम्मद कासिम शेख उर्फ कासिम बंगाली और मोहम्मद अंसारी को सुनाई गई मौत की सजा की पुष्टि करने से इनकार कर दिया और उनकी सजा को उनके शेष जीवन के लिए आजीवन कारावास में बदल दिया।
पैरोल के हकदार नहीं होंगे आरोपी 
बहरहाल, कोर्ट ने कहा कि दोषी पैरोल या फरलो के हकदार नहीं होंगे, क्योंकि उन्हें समाज में आत्मसात किए जाने की अनुमति नहीं दी जा सकती और सुधार की कोई गुंजाइश नहीं है। 2013 में हुई गैंगरेप की इस घटना के समय विजय जाधव की आयु 19 वर्ष, कासिम शेख की आयु 21 वर्ष और अंसारी की आयु 28 वर्ष थी।
शारीरिक ही नहीं, मानसिक प्रताड़ता भी झेलती है बलात्कार पीड़िता 
पीठ ने कहा कि इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि इस अपराध ने समाज की सामूहिक अंतरात्मा को झकझोर दिया है और बलात्कार मानवाधिकारों का उल्लंघन है। कोर्ट ने कहा, ‘‘बलात्कार पीड़िता केवल शारीरिक ही नहीं, बल्कि मानसिक रूप से भी प्रताड़ता झेलती है। यह मानवाधिकारों का उल्लंघन है, लेकिन केवल लोगों के गुस्से पर ही ध्यान नहीं दिया जा सकता। निर्णय लोगों की नाराजगी या लोगों की राय के आधार पर नहीं लिए जाने चाहिए।’’
कोर्ट ने कहा कि मामलों पर निष्पक्षता से विचार करना अदालतों का कर्तव्य है और वे कानून के तहत तय की गई प्रक्रिया को नजरअंदाज नहीं कर सकतीं। पीठ ने कहा, ‘‘मृत्यु पश्चाताप की अवधारणा को समाप्त कर देती है। यह नहीं कहा जा सकता कि आरोपियों को केवल मौत की सजा ही दी जानी चाहिए। वे उनके द्वारा किए गए अपराध का पश्चाताप करने के लिए आजीवन कारावास की सजा भुगतने के लायक हैं।’’
उसने कहा, ‘‘दोषियों को उनके शेष जीवन के लिए आजीवन कारावाज की सजा दी जानी चाहिए। उन्हें समाज में आत्मसात नहीं किया जा सकता, क्योंकि वे महिलाओं को एक वस्तु समझते हैं।’’ कोर्ट ने कवि खलील जिब्रान की पंक्तियों को उद्धृत करते हुए कहा, ‘‘और उन लोगों को कैसे दंड दोगे, जिनका पश्चाताप उनके कुकर्मों से पहले से ही बड़ा है? क्या पश्चाताप भी वही न्याय नहीं है, जो उस कानून द्वारा दिया जाता है, जिसका आप खुशी से पालन करेंगे? इसके बावजूद आप निर्दोष को ग्लानि से नहीं भर सकते औैर ना ही दोषी के मन से इसे निकाल सकते हैं।’’
दोषियों की ओर से पेश हुए वकील युग चौधरी ने तर्क दिया था कि मौत की सजा अनुचित है, क्योंकि सुनवाई निष्पक्ष तरीके से नहीं हुई थी। राज्य सरकार ने कहा था कि मौत की सजा सुनाया जाना उचित है, क्योंकि यह आदेश इस प्रकार के अपराधों को रोकने में मदद करेगा। 
एक अन्य रेप के मामले में दोषी ठहराए गए थे सभी आरोपी
निचली अदालत ने बंद पड़े शक्ति मिल्स परिसर में फोटो पत्रकार के साथ 22 अगस्त, 2013 को गैंगरेप किए जाने के मामले में मार्च, 2014 में चार लोगों को दोषी ठहराया था। कोर्ट ने विजय जाधव, बंगाली और अंसारी को मौत की सजा सुनाई थी, क्योंकि इन तीनों को फोटो पत्रकार के साथ रेप से कुछ महीनों पहले इसी स्थान पर 19 वर्षीय एक टेलीफोन ऑपरेटर के गैंगरेप के मामले में भी दोषी ठहराया गया था। 
इन तीनों को भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (ई) के तहत मौत की सजा सुनाई गई। मामले के चौथे दोषी सिराज खान को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी और एक नाबालिग आरोपी को सुधार केंद्र भेज दिया गया था। विजय जाधव, बंगाली और अंसारी ने अप्रैल 2014 में हाई कोर्ट में भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (ई) की वैधता को चुनौती दी थी और दावा किया था कि सत्र अदालत ने उन्हें मौत की सजा सुनाकर अपने अधिकार क्षेत्र से परे जाकर कदम उठाया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

nine − 2 =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।