कृषि कानून को लेकर महीनों से दिल्ली की सीमा पर डटे किसानों की समस्या का अभी तक समाधान निकलकर नहीं आया है। इस बीच एनसीपी प्रमुख शरद पवार का बड़ा बयान सामने आया है। उन्होंने कृषि कानूनों को पूरी तरह खारिज करने के बजाए उसके विवादीय हिस्से में संसोधन किए जाने की बात पर ज़ोर दिया।
पूर्व कृषि मंत्री ने कहा, कृषि कानूनों को पूरी तरह खारिज करने के बजाए इसके उस हिस्सों में संशोधन किया जाना चाहिए जिससे किसानों को इससे दिक्कत है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र सरकार के मंत्रियों का एक समूह केंद्र से पारित कृषि कानून के अलग-अलग पहलुओं का अध्ययन कर रहा है। उन्होंने इस मुद्दे पर बालासाहेब थोराट से भी चर्चा की।
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शरद पवार ने कहा, किसान पिछले 6 महीने से आंदोलन कर रहे हैं। केंद्र और किसानों के बीच गतिरोध बना हुआ है। इसलिए वे अभी भी वहीं बैठे हैं। केंद्र को उनसे बातचीत करनी चाहिए। इसमें नेतृत्व करना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस कानून से संबंधित सभी पक्षों से विचार करने के बाद ही इसे विधानसभा के पटल पर लाया जाएगा।
गौरतलब है कि केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ 26 नवंबर 2020 से दिल्ली की अलग सीमाओं पर किसानों का धरना प्रदर्शन जारी है। लगभग सात महीने से जारी आंदोलन के दौरान किसान संगठनों और सरकार के बीच 10 से 11 बार चर्चा हुए, लेकिन घंटों चली यह बैठकें बेनतीजा साबित हुई।