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हारकर भी सबसे आगे तेजस्वी, शिवसेना बोली-बिहार की राजनीति में एक नया युग आया

विधानसभा चुनाव में अकेले दम पर शानदार लड़ाई लड़ने के लिए शिवसेना ने आरजेडी नेता तेजस्वी यादव की पीठ थपथपाई है।

बिहार चुनाव के नतीजों के अनुसार राज्य में एनडीए की सरकार बनने जा रही है। अगर बात राजनीति दलों को मिली सीट के अनुसार करें तो आरजेडी भले ही सत्ता पर विराजमान नहीं हुई लेकिन बीजेपी को पटकी जरूर दी है। विधानसभा चुनाव में अकेले दम पर शानदार लड़ाई लड़ने के लिए शिवसेना ने आरजेडी नेता तेजस्वी यादव की पीठ थपथपाई है।परिणामों को काफी हद तक अपेक्षित बताते हुए, बुधवार को शिवसेना ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जेडीयू को चुनाव में बड़ा झटका मिला है। 
शिवसेना ने पार्टी समाचार पत्रों ‘सामना’ और ‘दोपहर का सामना’ में कहा, “भारतीय जनता पार्टी-जदयू की साझेदारी की जीत हुई और एनडीए गठबंधन सत्ता में लौटा। अहम सवाल यह है कि क्या नीतीश कुमार फिर से बिहार के सीएम बनेंगे।” यह मुद्दा लटका रह सकता है क्योंकि बीजेपी की 74 की तुलना में जेडीयू 50 सीटें भी नहीं जीत सकी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को यह घोषणा करने के लिए मजबूर किया गया कि अगर नीतीश कुमार की पार्टी कम सीटें भी हासिल करती है, तो भी वह सीएम बनेंगे। 

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पार्टी के समाचारपत्रों में लिखा गया, “उन्होंने (शाह) ने 2019 में शिवसेना के साथ ऐसा ही वादा किया था, लेकिन इसे तोड़ दिया और महाराष्ट्र में एक नए राजनीतिक ‘महाभारत’ देखने को मिला। अगर वह अब नीतीश कुमार को दिए आश्वासन पर कायम रहते हैं तो इसका श्रेय शिवसेना को जाता है।” 
शिवसेना का कहना है कि “युवा और फायरब्रांड तेजस्वी यादव के नेतृत्व में बिहार की राजनीति में एक नया युग आया है” और उन्होंने अकेले अपने दम पर सत्ता पक्ष के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह, जेपी नड्डा, नीतीश कुमार और अन्य को चुनौती दी। इसने कहा कि तेजस्वी यादव ने तूफानी रैलियां की। इस 31 वर्षीय लड़के ने विकास, रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य के सवाल उठाए जिन्हें पिछले 15 साल के लिए दरकिनार कर दिया गया था। 

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इसने कहा कि जब मोदी ने इस लड़के को जंगलराज का युवराज कहा तो तेजस्वी संयमित रहे, हालांकि हार की संभावनाओं से नीतीश कुमार इतने दंग रह गए कि उन्होंने यह कहते हुए ‘भावुक अपील’ तक कर डाली की यह उनका आखिरी चुनाव है। 
तेजस्वी यादव की महागठबंधन ने अच्छा प्रदर्शन किया, जिसमें राजद इकलौती सबसे बड़ी पार्टी (75 सीटें) के रूप में उभरी, इसके अलावा वामपंथी दलों ने भी अच्छा प्रदर्शन किया। शिवसेना के संपादकीय में कहा गया कि हमें नहीं लगता कि तेजस्वी यादव हार गए हैं। यह क्षण देश के राजनीतिक इतिहास में दर्ज किया जाएगा। बिहार के चुनाव ने देश की राजनीति में तेजस्वी यादव का एक नया नाम दिया है। उनकी जितनी भी तारीफ की जाए, कम है। 

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