शिवसेना सांसद संजय राउत ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के यूपीए को लेकर दिए गए बयान पर प्रतिकिया दी है। उन्होंने ममता की पार्टी विस्तार की नीति को तगड़ा झटका दिया है। राउत ने यूपीए (UPA) के बिना अलग मोर्चा बनाने से इनकार कर दिया है।
ममता बनर्जी की बीजेपी के खिलाफ यूपीए से अलग बाकी क्षेत्रीय पार्टियों का मोर्चा बनाने की कवायदों के बीच संजय राउत ने कहा, राजस्थान, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, हरियाणा और भी अन्य राज्यों में कांग्रेस है। तो कांग्रेस के साथ हम सब मिल कर काम करें तो एक अच्छा फ्रंट बनेगा। जहां सब लोग एक साथ रहे, इसका एक अच्छा उदाहरण महाराष्ट्र है।
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उन्होंने कहा, कांग्रेस को छोड़कर कोई फ्रंट बन सकता है। लेकिन, मुझे नहीं लगता है कि राजनीति तौर पर यह सही सोच है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के साथ हम सब मिलकर अगर काम करें तो अच्छा फ्रंट बनेगा। कांग्रेस को दूर रखकर कोई फ्रंट नहीं बन सकता है ये मेरे हिसाब से सही नहीं है।
संजय राउत ने कहा कि कांग्रेस हमारे साथ है हमारी विचारधारा अलग हो सकती है। इस दौरान उन्होंने कहा कि यूपीए को मजबूत होना चाहिए 2024 के लिए अगर कोई भी फ्रंट बनता है तो उससे क्या फायदा होगा इसके बारे में सोच विचार करना चाहिए।
सामना में शिवसेना ने ममता को निशाने पर लिया
शिवसेना के मुखपत्र सामना में भी इशारों में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर निशाना साधा गया है। सामना में लिखा गया कि ममता की राजनीति काग्रेंस उन्मुख नहीं है। पश्चिम बंगाल से उन्होंने कांग्रेस, वामपंथी और बीजेपी का सफाया कर दिया। ये सत्य है फिर भी कांग्रेस को राष्ट्रीय राजनीति से दूर रखकर सियासत करना यानी मौजूदा ‘फासिस्ट’ राज की प्रवृत्ति को बल देने जैसा है।
सामना में लिखा है कि कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो, ऐसा मोदी और उनकी बीजेपी को लगना समझा जा सकता है। ये उनके कार्यक्रम का एजेंडा है। लेकिन मोदी और उनकी प्रवृत्ति के विरुद्ध लड़ने वालों को भी कांग्रेस खत्म हो, ऐसा लगना सबसे गंभीर खतरा है। बीजेपी की रणनीति कांग्रेस को रोकना है, लेकिन यही रणनीति मोदी या बीजेपी के विरुद्ध मसाल जलाने वालों ने भी रखी तो कैसे होगा?
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देश में कांग्रेस की नेतृत्व वाली ‘यूपीए’ कहां है? ये सवाल मुंबई में आकर ममता बनर्जी ने पूछा। ये प्रश्न मौजूदा स्थिति में अनमोल है। यूपीए अस्तित्व में नहीं है, उसी तरह एनडीए भी नहीं है। मोदी की पार्टी को आज एनडीए की जरूरत नहीं। लेकिन विपक्षियों को यूपीए की जरूरत है।यूपीए के समानांतर दूसरा गठबंधन बनाना ये बीजेपी के हाथ मजबूत करने जैसा है।