नैनीताल : उत्तराखंड में राष्ट्रीय प्रौद्यागिकी संस्थान (एनआईटी) के गठन के मामले में राज्य और केन्द्र सरकार बेहद लचीला रवैया अपना रहे हैं। राष्ट्रीय महत्व के इस संस्थान के गठन के मामले में दोनों सरकारों में आपसी सामंजस्य की कमी नजर आ रही है। उच्च न्यायालय ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए मंगलवार को राज्य सरकार को फटकार लगायी। अदालत ने इस मामले में केन्द्र और राज्य सरकार के साथ-साथ एनआईटी उत्तराखंड से सोमवार तक पुन: जवाब पेश करने को कहा है। सोमवार को इस मामले में फिर सुनवाई होगी।
मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की युगलपीठ में याचिकाकर्ता जसबीरसिंह की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता अभिजय नेगी ने बताया कि एनआईटी के श्रीनगर स्थित अस्थायी कैम्पस को लेकर राज्य सरकार की ओर से एक रिपोर्ट अदालत में पेश की गयी। राज्य सरकार की ओर से अस्थायी कैम्पस की जर्जर व्यवस्थाओं को सुधारने के लिये 52 करोड़ और 72 करोड़ रुपये के दो प्रस्ताव सौंपे गये हैं लेकिन रिपोर्ट में समय सीमा को लेकर कोई उल्लेख नहीं किया गया है।
इसलिये अदालत ने राज्य सरकार के रवैये पर नाराजगी व्यक्त की। राज्य सरकार की ओर से अदालत को यह भी बताया गया कि केन्द्र सरकार को भी रिपोर्ट भेज दी गयी है लेकिन केन्द्र सरकार के अधिवक्ता इस मामले में कोई उपयुक्त जवाब नहीं दे पाये। उन्होंने अदालत से समय की मांग की। श्री नेगी ने बताया कि एनआईटी उत्तराखंड की ओर से भी इस मामले में अपना रूख अभी तक स्पष्ट नहीं किया गया है।