गुजरात कैबिनेट में बदलाव को लेकर राज्य बीजेपी में हुए ज़ोरदार घमासान को देखते हुए मंत्रियों के शपथ ग्रहण समारोह को टाल दिया गया। मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल का शपथ ग्रहण पहले ही हो चुका है, आज उनकी नई कैबिनट का गठन होना था। लेकिन नई कैबिनट में बदलाव को लेकर बीजेपी में रार मच गई। जानकारी के अनुसार, जो बैनर लगाए गए थे उनको फाड़कर उतार दिया गया।
गुजरात मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, सीएम भूपेंद्र पटेल की नई कैबिनेट का शपथ ग्रहण समारोह 16 सितंबर को दोपहर 1.30 बजे राजभवन, गांधीनगर में आयोजित होगा। जानकारी के मुताबिक, कैबिनेट में बड़े पैमाने पर फेरबदल की बात सामने आई थी, जिसपर विवाद हो गया।
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भूपेंद्र पटेल लगभग पूरी कैबिनेट में नए चेहरों को शामिल करना चाहते है। ऐसे में मंत्री पद से हाथ होने की आशंका के बीच कुछ बीजेपी विधायक पूर्व सीएम विजय रुपाणी के घर जाकर उनसे मिले भी थे। वहीं बीजेपी के दिग्गज नेता और पूर्व उप मुख्यमंत्री नितिन पटेल की नाराजगी की अटकलें थमने का नाम नहीं ले रहीं।
जानकारी के मुताबिक, भूपेंद्र पटेल अपनी नई कैबिनेट में 21 से 22 नए मंत्रियों को शामिल करना चाहते है। ऐसे में कई पुराने और दिग्गज नेताओं की कैबिनेट से छुट्टी भी होगी। जातीय समीकरण को बिठाने के साथ साफ-सुथरी छवि के नेताओं को मंत्रिमंडल में खास तवज्जो दिए जाने की रणनीति है।
मुख्यमंत्री पद से विजय रूपाणी के अचानक इस्तीफा देने के बाद सोमवार को भूपेंद्र पटेल (59) ने शपथ ली थी। भारतीय जनता पार्टी की गुजरात इकाई के प्रमुख भूपेंद्र यादव नए मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने वाले लोगों के नाम तय करने के लिए पिछले दो दिनों से गांधीनगर में लगातार बैठकें कर रहे हैं।
पटेल को रविवार को सर्वसम्मति से बीजेपी विधायक दल का नेता चुना गया था और सोमवार को गांधीनगर में राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने उन्हें राज्य के 17वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ दिलाई थी। पटेल को गुजरात की पूर्व मुख्यमंत्री और उत्तर प्रदेश की वर्तमान राज्यपाल आनंदीबेन पटेल का करीबी माना जाता है। उन्हें मुख्यमंत्री बनाए जाने के पीछे यह भी एक कारण माना जा रहा है।
ऐसे में जब दिसंबर 2022 में राज्य विधानसभा चुनाव होने की उम्मीद है, बीजेपी ने चुनाव में जीत के लिए पटेल पर भरोसा जताया है, जो कि एक पाटीदार हैं। साल 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने राज्य विधानसभा की 182 सीटों में से 99 सीटें जीतीं थी, जबकि कांग्रेस को 77 सीटें मिली थीं।