तमिलनाडु के सीएम स्टालिन ने औपचारिक तौर से रविवार को पीएम नरेंद्र मोदी को औपचारिक तौर से स्पष्ट कि और मोदी जी को मुख्य तौर से पत्र लिखा। वहीं, यह स्टालिन ने दावा किया कि गैर-हिंदीभाषी राज्यों में ‘One Nation Theory’ के तहत हिंदी(hindi) को लागू करने का मोदी सरकार पर लगातार कयास कर रही है।
स्टालिन ने कहा कि केंद्र सरकार का दृष्टिकोण
स्टालिन ने पत्र में कहा, गैर-हिंदीभाषी लोगों पर हिंदी थोपने का प्रयास विभिन्न भाषाओं और संस्कृतियों के लोगों के भाईचारे की भावना खत्म हो जाएगी । इसी के साथ-साथ पत्र में कहा, हिंदी को थोपने के हालिया प्रयास अव्यावहारिक और विभाजनकारी हैं। गैर-हिंदीभाषी लोगों को कई मायनों में अजीबो-गरीब स्थिति को झेलना पड़ता है। मिली जानकारी के मुताबिक पूर्ण रूप से स्पष्ट किया कि यह स्वीकार्य नहीं है, न केवल तमिलनाडु को, बल्कि किसी भी गैर-हिंदीभाषी राज्य को, जो अपनी मातृभाषा को सम्मान और महत्व देता और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन ने कहा कि केंद्र सरकार का दृष्टिकोण तमिल समेत सभी भाषाओं को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने का प्रावधान होना चाहिए । वहीं सीएम ने स्पष्ट किया कि आधिकारिक भाषाओं पर संसदीय उप-समिति की एक रिपोर्ट का भी जिक्र किया और कहा कि जिसमें सिफारिश की गई थी कि केंद्र सरकार द्वारा प्रशासित शैक्षणिक संस्थानों जैसे आईआईटी, आईआईएम, एम्स और केंद्रीय विश्वविद्यालयों में शिक्षा का अनिवार्य माध्यम हिंदी भाषा होना चाहिए।
तमिलनाडु में कई युवाओं ने 1965 में भड़के हिंदी विरोधी आंदोलन
स्टालिन ने आगे कहा कि यह भी (उप-समिति द्वारा) सिफारिश की गई थी कि हिंदी को अंग्रेजी की जगह को मुख्य रूप से स्पष्ट कर देना चाहिए । इसी के साथ ही स्टालिन ने औपचारिक तौर से कहा कि तमिलनाडु में कई युवाओं ने 1965 में भड़के हिंदी विरोधी आंदोलनों में अपने प्राणों की कुर्बानी दी । तमिलनाडु की सीएम स्टालिन ने मुख्य रूप से कहा कि ने पत्र में कहा, जवाहरलाल नेहरू ने लोगों की भावनाओं का सम्मान किया और आश्वासन दिया कि गैर-हिंदीभाषी लोग जब तक चाहें, अंग्रेजी आधिकारिक भाषाओं में से एक बनी रहेगी।